Sunday, September 22, 2024
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जलते मणिपुर में शान्ति बहाली के लिए सभी विधायक आए साथ, सीएम के नेतृत्व में गवर्नर को सौंपा 8 सूत्रीय ज्ञापन

एफएनएन, इम्फाल-मणिपुर। पिछले लगभग सवा साल से जातीय दंगों की आग में जल रहे पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में शांति बहाली के लिए अब सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक एक साथ आ गए हैं। रविवार को राज्य के सभी विधायकों ने भाजपा नेता और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व में राजभवन में राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य से भेंट की और तत्काल शान्ति बहाली के लिए केंद्र सरकार को संबोधित आठ सूत्रीय मांग पत्र सौंपा। मांग पत्र में इस पूर्वोत्तर राज्य को सुरक्षा अभियानों की देखरेख करने वाली यूनीफाइड (एकीकृत) कमांड का नियंत्रण सौंपने की मांग प्रमुख रूप से उठाई गई है। वर्तमान में इस कमांड का नियंत्रण केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों, राज्य के सुरक्षा सलाहकार और सेना की एक टीम के हाथों में है।

सूत्रों का कहना है कि मांगपत्र में शामिल इस बड़ी मांग पर केंद्र ने हरी झंडी दिखाई तो एकीकृत कमान का नियंत्रण हाथों में आने पर संवैधानिक रूप से निर्वाचित राज्य सरकार को पर्याप्त अधिकार और जिम्मेदारियां हासिल हो सकेंगी।

मांगपत्र की एक और प्रमुख मांग सरकार और कुकी विद्रोही समूहों के बीच ऑपरेशन एग्रीमेंट सस्पेंशन को खत्म करने की भी है ताकि सुरक्षा बल कड़ी कार्रवाई कर सकें। इस साल जनवरी में भी मणिपुर में एक सर्वदलीय बैठक में केंद्र और राज्य सरकार से इस समझौते को खत्म करने के लिए कहा गया था ताकि सुरक्षा बल कुकी विद्रोहियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान शुरू कर सकें।

मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में विपक्षी विधायकों ने यह भी सवाल उठाया था कि केंद्र और राज्य सरकार ने यह क्यों नहीं बताया कि मणिपुर में संविधान का अनुच्छेद 355 लागू है। अनुच्छेद 355 में कहा गया है कि हर राज्य को बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति से बचाना केंद्र का कर्तव्य है। इस प्रावधान के लागू होने का मतलब साफ है कि पूर्वोत्तर का यह अति संवेदनशील राज्य राष्ट्रपति शासन से सिर्फ एक कदम ही दूर है।

मुख्यमंत्री और बीजेपी विधायकों ने गवर्नर के मार्फत केंद्र से राज्य की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने, सीमा पर बाड़ लगाने का काम पूरा करने, राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर का काम पूरा करने और सभी अवैध प्रवासियों को वापस भेजने की भी मांगें रखी हैं।

बताते चलें कि मणिपुर के कुछ पहाड़ी इलाकों में प्रमुख रूप से रहने वाली कुकी नाम की करीब दो दर्जन जनजातियों और मैतेई समुदाय के बीच पिछले साल मई से जारी जातीय संघर्ष में 220 से अधिक लोगों की मौत हो गई है और लगभग 50,000 लोग आंतरिक रूप से विस्थापित भी हो चुके हैं।

समस्या यह है कि सामान्य श्रेणी के मैतेई समुदाय के लोग अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल होना चाहते हैं, जबकि पड़ोसी देश म्यांमार के चिन राज्य और मिजोरम के लोगों के साथ जातीय संबंध रखने वाले कुकी मणिपुर से अलग प्रशासन चाहते हैं। वे मैतेई समुदाय के साथ इस राज्य में हो रहे भेदभाव और संसाधनों व सत्ता के असमान बंटवारे का भी हवाला देते हैं।

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