एफएनएन, देहरादून :उत्तराखंड विधानसभा में राज्य गठन के बाद हुई सभी भर्तियों पर तलवार लटकी हुई है। नियमों को ताक पर रखकर की गई भर्तियों को मामले की जांच के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने क्लीन चिट नहीं दी है। समिति की जांच रिपोर्ट के अनुसार 2000 से 2012 तक अलग-अलग विधानसभा अध्यक्षों के कार्यकाल में 170 कर्मचारियों को तदर्थ आधार पर नियुक्तियां दी गई थी। इन कर्मचारियों को नियमित किया गया। समिति ने इन भर्तियों पर विधिक राय लेने की सिफारिश की है। विधानसभा भर्तियों की जांच के लिए गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर स्पीकर ऋतु खंडूड़ी भूषण ने 2016 से 2022 तक तदर्थ आधार पर 228 और उपनल के माध्यम से 22 नियुक्तियों को रद्द करने का फैसला लिया। इसमें कांग्रेस सरकार 2016 में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के कार्यकाल की 150 नियुक्तियां और 2020 की भाजपा सरकार में विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यकाल की 6 और 2021 में 72 पदों की नियुक्तियां भी शामिल हैं। जांच समिति ने राज्य गठन के बाद से 2022 तक विधानसभा में हुई सभी भर्तियों की जांच की, जिसमें पाया गया कि सभी भर्तियां तदर्थ नियुक्तियों पर रोक के बावजूद बिना प्रक्रिया कर दी गई हैं। 2012 से पहले नियुक्त 170 कर्मचारियों को नियमित किया गया है, जबकि इनकी नियुक्तियां भी रद्द की गई भर्तियों की तरह ही की गई थी। समिति की जांच रिपोर्ट के आधार पर नियम विरुद्घ की गई नियुक्तियों को रद्द करने का निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री ने भी तत्काल रद्द की गई नियुक्तियों का अनुमोदन किया है। 2012 से पहले हुई नियुक्तियों में कर्मचारियों को नियमित किया गया, जिससे इन नियुक्तियां पर विधिक राय ली जा रही है।
-ऋतु खंडूड़ी भूषण, विधानसभा अध्यक्ष