Thursday, June 19, 2025
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Homeराज्यउत्तराखंडदोनों हाथ बेकार फिर भी खेलों में आसमान छूने की तमन्ना

दोनों हाथ बेकार फिर भी खेलों में आसमान छूने की तमन्ना

  • दिव्यांगता के बावजूद खटीमा के सुरेंद्र रावत ताइक्वांडो, रेस और स्वीमिंग में बटोर चुके हैं राज्य स्तरीय 20 मैडल
  • विश्व दिव्यांगता दिवस पर समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने प्रशस्तिपत्र, चेक देकर किया सम्मानित

एफएनएन, खटीमाः दिल में कुछ कर दिखाने का जज्बा हो और अटूट लगन, कड़ी मेहनत का पक्का इरादा तो शारीरिक कमजोरियों से लेकर बड़ी से बड़ी बाधाएं आपको मंजिल पर पहुंचने से हरगिज भी रोक नहीं सकतीं। यह साबित किया है दोनों हाथों से दिव्यांग खटीमा के उदीयमान ताइक्वांडो खिलाड़ी और एथलीट सुरेंद्र सिंह रावत ने। बहुत कम उम्र में ही अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल कर लेने वाले सुरेंद्र को विश्व दिव्यांग दिवस पर एक समारोह में प्रदेश के परिवहन, समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने खेल के क्षेत्र में राज्यस्तरीय दक्ष दिव्यांग खिलाड़ी पुरस्कार प्रदान किया।

कैबिनेट मंत्री श्री आर्य ने डीएम ऊधमसिंह नगर रंजना राजगुरु और जिला समाज कल्याण अधिकारी, सचिव समाज कल्याण उत्तराखंड के हस्ताक्षरों से जारी प्रशस्तिपत्र के साथ दिव्यांग सुरेंद्र को पांच हजार रुपये का चेक भी प्रदान किया गया। ऊधमसिंह नगर जिले की खटीमा तहसील के गांव छिनकी निवासी किसान उमेद सिंह रावत के पुत्र सुरेंद्र के दोनों हाथ बचपन में ही बेकार हो गए थे लेकिन शारीरिक विकलांगता को उन्होंने अपने कभी ऊपर बोझ नहीं बनने दिया। विकलांगता से लड़ते हुए न सिर्फ ग्रेजुएशन कंप्लीट किया, बल्कि खेलों में भी अपना जीवट दिखाने का सिलसिला शुरू किया। फिर क्या था, दुश्वारियों से लड़ते-लड़ते धीरे-धीरे छोटी-छोटी कामयाबियां भी सुरेंद्र को दुलराने लगीं।

दोनों हाथ लगभग बेकार होने के बावजूद दिव्यांग सुरेंद्र ताइक्वांडो, स्वीमिंग और एथलेटिक्स जैसी स्पर्धाओं में सफलता की सीढ़ियां तेजी से चढ़ रहे हैं। खेलों में वे अब तक उत्तराखंड राज्य स्तर पर 20 मेडल बटोर चुके हैं। ताइक्वांडो के अलावा 100 मीटर, 200 मीटर, 400 मीटर रेस में भी दमखम दिखाते हुए कई मर्तबा जीत का डंका बजा चुके हैं।

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