Monday, October 13, 2025
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IRCTC घोटाला केस में लालू परिवार पर IPC 420, 120B के तहत आरोप तय, सीबीआई कोर्ट अब 10 नवंबर को आदेश सुनाएगा

एफएनएन, नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान आरजेडी के लिए परेशानी बढ़ गई है. IRCTC घोटाला केस में राउज एवेन्यू कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव और अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं. अब इस मामले में सभी के खिलाफ मुकदमा चलेगा तो वही ज़मीन के बदले नौकरी घोटाले में आरोप तय करने को लेकर आज आदेश टला दिया गया है. सीबीआई कोर्ट अब 10 नवंबर को आदेश सुनाएगा.

राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल सीबीआई जज विशाल गोगने ने आईआरसीटीसी घोटाला मामले में लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव समेत 14 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए. मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि ये भ्रष्टाचार का मामला है, वो आरोपियों की दलील से सहमत नहीं है. तीनों ने अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताया.


सुनवाई के दौरान कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव को खडे होने के लिए कहा और उन पर लगे आरोप बताए. जिन धाराओं के तहत आरोप तय किए गए हैं, उनमें आईपीसी की धारा 420, धारा 120B, प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 13(2) और 13 (1)(d) शामिल हैं. हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राबड़ी और तेजस्वी पर प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट नहीं लगेगा.

कोर्ट ने सभी पर जालसाजी का आरोप भी तय किया है. कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव से पूछा कि क्या वो आरोप स्वीकार करते हैं? गिल्टी फील करते हैं? या ट्रायल का सामना करेंगे. उन्होंने कहा कि आरोप ग़लत हैं. इसके बाद कोर्ट ने राबड़ी देवी को उन पर लगे आरोप बताए कि कैसे उनको कम दाम में जमीन मिली.

साजिश और धोखाधड़ी के आरोपों को रबड़ी देवी ने अस्वीकार किया. कोर्ट ने कहा कि यही आरोप तेजस्वी यादव पर भी हैं. क्या आप आरोप स्वीकार करते हैं? दोनों ने कहा मैं दोषी नहीं हूं इसके बाद यह साफ हो गया कि तीनों आरोपितों लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को ट्रायल का समाना करेंगे

बता दें कि राजद प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव अपनी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के साथ राउज़ एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए. इस दौरान वो व्हीलचेयर पर बैठ के कोर्ट पहुंचे थे.

क्या है मामला?: यह मामला साल 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे. उस दौरान भारतीय रेलवे की सहायक कंपनी आईआरसीटीसी के तहत पुरी और रांची के BNR होटलों के संचालन के लिए निजी कंपनियों को ठेका देने की प्रक्रिया शुरू की गई थी. सीबीआई की जांच के मुताबिक इस प्रक्रिया में कथित अनियमितताएं हुईं ताकि सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को अनुचित लाभ दिया जा सके.

लेन-देन के बदले लाभ का मामला: जांच एजेंसी का आरोप है कि सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को ठेका देने के बदले लालू परिवार से जुड़ी एक बेनामी कंपनी को पटना में बाजार दर से बहुत कम कीमत पर जमीन दी गई. यह जमीन लालू परिवार के स्वामित्व वाली कंपनी ‘डेलेगेट मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड’ से जुड़ी बताई जाती है. सीबीआई का कहना है कि यह “quid pro quo” यानी “लेन-देन के बदले लाभ” का मामला है.

सीबीआई के आरोप और लालू परिवार का पक्ष: सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, आपराधिक साजिश (IPC की धारा 120B) और धोखाधड़ी से जुड़ी धाराओं के तहत आरोप लगाए हैं. एजेंसी का दावा है कि इस प्रकरण में सरकारी पद का दुरुपयोग किया गया. वहीं लालू परिवार का कहना है कि यह पूरा मामला राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम है. लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव ने हमेशा इस केस को “राजनीतिक साजिश” बताया है. उनका कहना है कि चुनाव से पहले विपक्ष की छवि धूमिल करने और महागठबंधन को कमजोर करने के लिए केंद्र सरकार की एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

सुनवाई और अब तक की प्रक्रिया: बता दें कि इस केस में कोर्ट ने 29 मई 2025 को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था. बाद में तकनीकी कारणों से आदेश की तिथि टल गई और आज 13 अक्टूबर को फैसला सुनाने की नई तिथि तय की गई थी. कोर्ट ने सभी आरोपियों को शारीरिक रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया था. इसके बाद लालू परिवार रविवार शाम ही दिल्ली पहुंच गया था.

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