Saturday, July 12, 2025
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पूर्व कैबिनेट मंत्री व मनकापुर राजघराने के राजा आनंद सिंह का लखनऊ में निधन

एफएनएन, गोंडा : पूर्व कैबिनेट मंत्री व मनकापुर राजघराने के राजा आनंद सिंह का रविवार रात लखनऊ में निधन हो गया. आनंद सिंह ने 87 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली. आनंद सिंह सांसद और विधायक भी रहे थे. उनके निधन की खबर फैलते ही लोग राजमहल पर जुटने लगे हैं. वहीं उनके पुत्र कीर्ति वर्धन सिंह दिल्ली से गोंडा के लिए रवाना हो गए. राजा आनंद सिंह के निधन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आदि ने शोक जताया है.

कितना पुराना है इतिहासः इतिहास के पन्नों में मनकापुर राजघराने का इतिहास 1681 से दर्ज है. जब कुंवर अजमत सिंह यहां के राजा बने. इसके बाद राजा गोपाल सिंह, राजा बहादुर सिंह, राजा बख्त सिंह, राजा पृथ्वीपाल सिंह और राजा जय प्रकाश सिंह ने राजसिंहासन संभाला. 1884 में राजा रघुराज सिंह ने मनकापुर राजघराने की कमान संभाली. वर्ष 1932 में उनकी मृत्यु हो गई. उनकी दूसरी रानी के पुत्र अम्बिकेश्वर प्रताप सिंह ने यहां के शासन की कमान संभाली. वह जनता के बीच बेहद लोकप्रिय राजा थे. उन्हें साधु राजा की उपाधि दी गई थी.

राजा आनंद सिंह ने 1964 में संभाली कमानः राजा आनंद सिंह मनकापुर राजघराने की गद्दी पर सन् 1964 में बैठे. उनका जन्म 4 जनवरी 1939 को हुआ था. उन्होंने पिता के निधन के बाद गद्दी संभाली थी. सन् 1939 में जन्मे राजा आनंद सिंह बेहद विनम्र और अच्छे व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे. उनके बेटे कुंवर कीर्तिवर्धन सिंह वर्तमान में राजनीतिक विरासत संभाल रहे हें और गोंडा लोकसभा सीट से भाजपा सांसद हैं. वे विदेश राज्य मंत्री भी हैं.

दस पीढ़ी पुराना है मनकापुर राजघराने का इतिहासः मनकापुर राजघराने का इतिहास करीब 10 पीढ़ी पुराना है. इस राजघराने का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है. गोंडा की जनता के बीच यह राजघराना बेहद लोकप्रिय है. यही वजह कि यहां के सांसद कीर्तिवर्धन सिंह को यहां की जनता ने पिछले लोकसभा चुनाव में विजयी बनाया था.

राजनीति में लंबे समय तक रहे सक्रिय: बताते चले कि आनंद सिंह की उत्तर प्रदेश की राजनीति बहुत अच्छी पकड़ थी. कांग्रेस से लंबे समय तक राजनीति की और उसके बाद समाजवादी पार्टी में कृषि कैबिनेट मंत्री रहे. लखनऊ से इनका पार्थिव शरीर कुछ देर में मनकापुर कोट पहुंचेगा. उनके निधन की खबर से जिले में पहुंचते ही शोक की लहर दौड़ गई है. उनके आवास पर लोगों पहुंचना शुरू हो गया गया है. कुंवर आनंद के बेटे कीर्तिवर्धन सिंह खबर सुनते ही दिल्ली से गोंडा के लिए रवाना हो गए हैं.

चार बार सांसद रहे अनु भइयाः आनंद सिंह अनु भइया के उपनाम से गोंडा की जनता के बीच में जाने जाते थे. वह पूर्वांचल की राजनीति के भीष्म पितामह माने जाते थे. वह कांग्रेस के टिकट से चार बार सांसद बने थे. अखिलेश सरकार में कृषि मंत्री रहे थे. उसके बाद उन्होंने राजनीतिक जीवन से सन्यांस ले लिया था. वह बेहद विनम्र और अच्छे स्वभाव के लिए जानते जाते थे.
राज्य के अधीन थे 189 गांव: बता दें कि आजादी से पहले मनकापुर के अंतिम शासक राघवेंद्र प्रताप सिंह थे. वे एक कांग्रेसी राजनेता (1933-1955) थे. उन्होंने 1937 से लगातार यूपी विधानसभा में सेवा दी. मनकापुर राज्य के अंतर्गत 189 गांव थे और ब्रिटिश राज के दौरान यह उतरौला तहसील में एक परगना था. 1987 में यह एक अलग तहसील बन गया. बाद में 1997 में जब गोंडा जिले को विभाजित करके बलरामपुर जिला बनाया गया तो यह पूर्व जिले के साथ ही जुड़ा रहा.
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