Saturday, August 23, 2025
03
20x12krishanhospitalrudrapur
previous arrow
next arrow
Shadow
Homeराज्यउत्तराखंडपंचायत चुनाव पर आरक्षण का ग्रहण! हाईकोर्ट के वो 4 सवाल, जिसका...

पंचायत चुनाव पर आरक्षण का ग्रहण! हाईकोर्ट के वो 4 सवाल, जिसका जवाब देगी धामी सरकार

एफएनएन, नैनीतालः उत्तराखंड पंचायत चुनाव आरक्षण मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है. गुरुवार को हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस बेंच आरक्षण और चुनाव नियमावली पर सुनवाई करेगी. हाईकोर्ट में गुरुवार को सरकार को बताना है कि कितनी सीटों पर आरक्षण में बदलाव किया गया है और कितनी सीटें ऐसी हैं, जिस पर आरक्षण रिपिट किया गया है? हांलाकि सरकार ने बुधवार को अपनी नियमावली को एकदम सही बताते हुए चुनावों पर लगी रोक हटाने की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने पूछा कि क्या पिछले आरक्षण को दरकिनार किया जा सकता था?
वहीं गजट नोटिफिकेशन पर कोर्ट ने कहा कि क्या गजट प्रकाशन साधाराण खण्ड अधिनियम का रुल्स 22 व पंचायती राज अधिनियम 2016 की धारा 126 के प्रावधानों के अनुरुप है? अगर ये इन प्रावधानों के अनुसार नहीं है तो ये गजट भी गलत है. कोर्ट ने सवाल उठाए हैं कि जनसंख्या के आधार पर कैसे आरक्षण कर रहे हैं? आपको बता दें कि उत्तराखण्ड हाईकोर्ट पंचायत चुनाव में आरक्षण और नियमावली मामले पर सुनवाई कर रहा है, जिस पर कोर्ट ने फिलहाल रोक लगाई है.
बता दें कि बीते सोमवार को उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में अगले महीने होने वाले पंचायत चुनावों पर रोक लगा दी थी और कहा कि यह अगले आदेश तक प्रभावी रहेगी. मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने राज्य में पंचायत चुनावों के लिए आरक्षण की चक्रीय व्यवस्था को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए, 10 और 15 जुलाई को दो चरणों में होने वाले इन चुनावों पर रोक लगा दी थी. राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा हाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए तिथियां घोषित की गयी थीं. चुनाव कार्यक्रम के अनुसार, मतगणना 19 जुलाई को होनी थी. खंडपीठ ने कहा कि पंचायत चुनावों पर यह रोक अगले आदेश तक प्रभावी रहेगी. 

उच्च न्यायालय का यह आदेश ऐसे समय आया है जब इन चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता 12 जिलों में लागू हो चुकी थी. राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने पंचायत चुनावों के लिए अधिसूचना और विस्तृत चुनाव कार्यक्रम 21 जून को जारी किया था, जिसके अनुसार नामांकन पत्र 25 जून से दाखिल किया जाना था. उत्तराखंड में पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो जाने के कारण उनमें नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल भी समाप्त हो चुका है.
RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments