पर्यटकों को खूब आकर्षित करती है विंटर लाइन, साथ ही सूर्यास्त के पल
एफएनएन, नैनीताल: उत्तराखंड के पहाड़ों में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ने लगी है। नैनीताल में ठंड के साथ-साथ पहाड़ों से सुंदर विंटर लाइन का नजारा भी दिखने लगा है।
विंटर लाइन को देखने के लिए हर वीकेंड पर देश भर से पर्यटक नैनीताल समेत आसपास के पर्यटन स्थलों का रुख कर रहे हैं और नैनीताल से दिखने वाले विहंगम दृश्य का लुफ्त उठा रहे हैं। नैनीताल से दिखने वाली विंटर लाइन पर्यटकों को आकर्षित कर रही है। दिसंबर माह की शुरुआत में नैनीताल का मौसम बेहद खुशनुमा बना हुआ है। नैनीताल घूमने आ रहे पर्यटक सूर्य उदय का लुफ्त उठा रहे हैं तो कुछ पर्यटक शाम को शहर के हनुमानगढ़ और बारहा पत्थर, नैनापीक, स्नो व्यू, किलबरी, हनुमानगढ़ी, टिफिन टॉप, कैमेल्स बैक पर्यटक स्थल से विंटर लाइन और सूर्यास्त के सुंदर नजारे का दीदार कर रहे हैं।
जानिए क्या है विंटर लाइन
डीएसबी कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. ललित तिवारी बताते हैं कि सर्दियों में वायुमंडल में नमी आ जाती है और मैदानी इलाकों से धूल, प्रदूषित धुएं के कण वायुमंडल में जाकर अपनी जगह स्थिर हो जाते हैं। ऐसे में वायुमंडल में एक सीधी समांतर रेखा आ जाती है, जिसे विंटर लाइन या शीत रेखा कहा जाता है। इस रेखा में एक विशेष कोण से जैसे ही सूर्य का प्रकाश पड़ता है तो लाल, पीला, नीला, नारंगी रंग लिए विंटर लाइन दिखाई देती है।
सर्दियों के दिनों में सूर्योदय तक और सूर्यास्त के बाद विंटर लाइन का दीदार कर सकते हैं। नैनीताल में विंटर लाइन नवंबर माह से जनवरी माह की शुरुआत तक देखी जाती है। विंटर लाइन स्विट्जरलैंड के अलावा भारत में नैनीताल, मसूरी, चकराता से दिखाई देती है। प्रो. तिवारी के अनुसार, वायुमंडल में जितने ज्यादा धूल के कण होंगे विंटर लाइन उतनी ही ज्यादा तीव्र होगी, यही वजह है कि विंटर लाइन का रंग कभी गहरा और कभी हल्का दिखाई देता है।