एफएनएन ब्यूरो, बरेली। निरंकार देव सेवक बाल साहित्य संस्थान के तत्वावधान में बिहारीपुर खत्रियान में सेवक जी की तीसवीं पुण्यतिथि पर बाल कवियों ने उन्हीं की कविताओं का पाठ कर उन्हें भावभरी श्रद्धांजलि दी।
कविता पाठ करने वाले दस बाल कवियों में अदविका शर्मा, शौर्य पचौरी, वंश कक्कड़, केशवी रस्तोगी, गौतम गुलाटी, शौर्य रस्तोगी, पावनी, शुभ कश्यप, शिवांशी पचौरी, जाहनवी गुप्ता प्रमुख रहे। महामंत्री इंद्रदेव त्रिवेदी, शायर रामकुमार अफरोज, विशाल शर्मा, नीरू रस्तोगी और अलका त्रिवेदी ने बाल कवियों को फूलमालाएं पहनाईं और स्मृति चिन्ह्, प्रमाणपत्र भेंट किए।
सेवक जी की ये कविताएँ बच्चों के मुख से खूब पसंद की गईं- शिवांशी पचौरी ने सेवक जी की इस कविता से समां बांधा –
चिड़िया लिए चोंच में तिनका चली बनाने घर।
कौन रहेगा कौन रहेगा उस घर के अंदर ।
चिड़िया के दो बच्चे होंगे उस घर के अंदर,
पर निकले तो उड़ जायेंगे पर फर फर फर।।
अदविका शर्मा ने सेवक जी की लोकप्रिय कविता यूं सुनाई –
एक शहर है टिंबकटू
लोग वहां के हैं बुद्धू
बिना बात के ही ही ही
बिना बात के हू हू हू।।
वंश कक्कड़ द्वारा सुनाई सेवक जी की यह कविता भी खूब सराही गई –
नहीं कहीं से आती सड़कें
नहीं कहीं को जाती सड़कें
लेकिन चौराहे पर आकर
सबकी सब मिल जाती सड़कें।।
इस अवसर पर कार्यक्रम अध्यक्ष रामकुमार अफरोज ने बच्चों को सेवक जी का जीवन परिचय देते हुए कहा कि सेवक जी बाल मन के चितेरे कवि थे। उनकी कविताओं का प्रकाशन भारत में ही नहीं, वरन् विदेशों में भी हुआ। कार्यक्रम का सफल संचालन महामंत्री इंद्रदेव त्रिवेदी ने किया। आभार प्रदर्शन विशाल शर्मा ने किया।