एफएनएन, देहरादून : वैली ऑफ वर्ड्स इंटरनेशनल लिटरेचर एंड आर्ट फेस्टिवल के सातवें संस्करण शब्दावली का रविवार को समापन हो गया। दो दिवसीय फेस्टिवल के आखिरी दिन वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे ने अपनी पुस्तक द जर्नी ऑफ हिंदी लैंग्वेज जर्नलिज्म इन इंडिया पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा, हिंदी भाषा की उम्र भले ही हिमालय की तरह कम है, लेकिन यह भाषा हिमालय की तरह एक बड़े हिस्से को सींचती है। कहा, कोई भी भाषा या साहित्य अपने आसपास के समाज से ही निकलती है।
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार संजय अभिज्ञान ने कहा, यह पुस्तक हिंदी पत्रकारिता की दशा और दिशा को बयां करती है। इस पुस्तक के हर पेज में नया तथ्य पढ़ने को मिलता है, जो चौकाने वाला है। पत्रकारिता से जुड़े लोगों के अलावा भी अन्य लोगों को इस पुस्तक को पढ़ना चाहिए।
- युवाओं को साहित्य से जोड़ना बहुत जरूरी