एफएनएन, हल्द्वानी – हाईकोर्ट में कोरोनिल को लेकर दायर याचिका पर बाबा रामदेव की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र व राज्य सरकार के साथ ही पतंजलि आयुर्वेद तथा निदेशक आयुष ,आईसीएमआर, निम्स विवि राजस्थान से एक सप्ताह में जवाब मांगा है। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में उधमसिंह नगर के अधिवक्ता मणि कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। कहा गया कि बाबा रामदेव व उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने पिछले मंगलवार को हरिद्वार में कोरोना वायरस से निजात दिलाने के लिए पतंजलि योगपीठ की दिव्य फॉर्मेसी कम्पनी द्वारा निर्मित कोरोनिल दवा लांच की, इसमें बाबा रामदेव की दवा कम्पनी ने आईसीएमआर द्वारा जारी गाइड लाइनों का पालन नही किया।
हवा-हवाई है बाबा का दावा
बाबा की कम्पनी ने आयुष मंत्रालय भारत सरकार की भी अनुमति नही ली। आयुष विभाग उत्तराखंड से कोरोना की दवा बनाने हेतु आवेदन नही किया, जो आवेदन किया था वह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने हेतु किया गया था जिसकी आड़ में बाबा रामदवेव ने कोरोनिल दवा का निर्माण किया। यहां बता दें कि निम्स विश्वविद्यालय ने बाबा की इस दवा से साफ किनारा कर लिया है। निम्स का कहना है कि उन्होंने ऐसी किसी दवा का कोई क्लीनिकल परीक्षण नहीं किया, और बाबा रामदेव दवा को लेकर भ्रामक प्रचार कर रहे हैं। यह दवा सिर्फ इम्यूनिटी बूस्टर के लिए है न कि कोरोना के इलाज के लिए कारगर है। याचिकाकर्ता ने इस मामले में दवा पर पूर्णरोक लगाने और आईसीएमआर द्वारा जारी गाइड लाइनों के आधार पर भ्रामक प्रचार हेतु कानूनी कार्यवाही की मांग की है।