एफएनएन, नई दिल्ली : पार्सल में ड्रग्स होने की बात कहकर प्रसाद नगर के शिशिर मेहता से साइबर ठगों ने साढ़े सात लाख रुपये अपने बैंक खाते में ट्रांसफर करवा लिए। ठगों ने पहले खुद को फेडेक्स कर्मी बताया और फिर मुंबई साइबर क्राइम डीसीपी बनकर मनी लॉन्ड्रिंग व ड्रग्स तस्करी के केस में फंसाने का डर दिखाकर अपने जाल में फंसाया।
शक होने पर उन्होंने मुंबई क्राइम ब्रांच के डीसीपी से बात की तो उन्हें पता लगा कि उनसे ठगी की गई है। मध्य जिले की साइबर थाना पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
शिशिर मेहता ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि नौ नवंबर को उन्हें फेडेक्स से संजय कुमार ने कॉल कर कहा कि उन्होंने ताइवान के लिए जो पार्सल भेजा था, उसे मुंबई में रोक लिया गया है। पार्सल में छह पासपोर्ट, छह क्रेडिट कार्ड और 140 ग्राम एमडीएमए ड्रग्स मिली है। शिशिर मेहता ने उन्हें बताया कि उन्होंने कोई पार्सल नहीं भेजा है।
कॉलर ने बताया कि पार्सल उनके द्वारा ही भेजा गया है। कॉलर ने सुझाव दिया कि उनके पास मुंबई क्राइम ब्रांच के साथ एक हॉटलाइन है। जिस पर वह खुद यह बात मुंबई पुलिस को बताएं कि उनका पार्सल से कोई लेना-देना नहीं है। हॉटलाइन पर बात कर रहे युवक ने खुद को अंधेरी मुंबई क्राइम ब्रांच का इंस्पेक्टर प्रकाश कुमार गुंटू बताया।
मेहता ने बताया कि पार्सल उनका नहीं है। इसके बाद उन्हें इंस्पेक्टर ने कहा कि वीडियो कॉल पर जांच की जाएगी और डीसीपी रैंक के अधिकारी उनसे बात कोंगे। कथित साइबर क्राइम डीसीपी ने वॉट्सऐप पर वीडियो कॉल की और अपना नाम बलसिंह बताया। इस दौरान उन्हें कहा गया कि वह जांच के दौरान किसी से भी बात न करें, यहां तक कि अपनी पत्नी से भी नहीं।
इस दौरान उन्होंने कुछ तस्वीरें दिखाई, जिनके बारे में उन्होंने बताया कि वह मुंबई सरकार के पूर्व मंत्री मोहम्मद इस्माइल मलिक हैं और वह मनी लॉन्ड्रिंग, मादक पदार्थों की तस्करी और अन्य आरोपों में पुलिस हिरासत में हैं। कथित डीसीपी ने बताया कि उनका नाम व आधार मुंबई में मलिक के चार बैंक खातों से जुड़ा हुआ है और वह जानना चाहते हैं कि उनसे उनका कोई संपर्क या लेनदेन है।
उन्हें बार-बार धमकी दी गई थी कि यदि मोहम्मद इस्माइल मलिक के साथ कोई संबंध पाया गया तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे और तत्काल जेल जाना होगा। इसके बाद उन्होंने उनकी वित्तीय विवरण जानने की मांग की कि उनकी सभी संपत्तियां सही तरीकों से अर्जित की गई हैं।
उनके असली इरादों को न समझते हुए शिकायतकर्ता ने अपने बैंक व शाखा के नाम साझा किए। वह यह भी जानना चाहते थे कि क्या उनकी एफडी है या परिपक्वता से पहले तोड़ी जा सकती है। उन्होंने कहा कि वह अपने दो बैंक खाते से उन्हें पैसे भेजे। यह जांच करने के लिए कि धन सही स्त्रोत से है या नहीं। जांच के बाद धन को उन्हें 15 मिनट में वापस दे दिया जाएगा।
इसके बाद उन्होंने एक बैंक खाते से चार लाख व दूसरे से साढ़े तीन लाख रुपए उनके बैंक खाते में भेज दिए। बाद में उन्हें धन वापस नहीं दिया गया। शाम को जब वह घर पहुंचे तो उन्होंने मुंबई क्राइम ब्रांच के डीसीपी बालसिंह राजपूत का नंबर ऑनलाइन ढूंढा व बात की तो पता चला कि उनसे ठगी की गई है। इसके बाद उन्होंने साइबर थाना पुलिस को शिकायत की।