एफएनएन, रुद्रपुर : निठारी कांड में शिकार हुई दिनेशपुर की मासूम पायल के परिवार वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद निराश हैं। बता दें कि कोर्ट ने इस मामले में आरोपी सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंडेर को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया है। याद रहे कि 21 दिसंबर 2006 की रात साढ़े नौ बजे पुलिस को पता चला था कि निठारी की कोठी से पायल गायब हुई है। पुलिस को यह नहीं पता था कि पायल की कॉल डिटेल 19 हत्याओं से राज का पर्दा उठाएगी और निठारी कांड पूरे देश में चर्चित होगी।
पायल की कॉल डिटेल खंगाली गई तब ही निठारी कांड का पर्दाफाश हुआ था। इलेक्ट्रानिक सर्विलांस की मदद से लापता पायल के गायब मोबाइल फोन का आईएमईआई नंबर (355352003845870) चलने की जानकारी हुई। जांच में पता चला कि पायल का फोन नोएडा के बरौला का रहने वाला राजपाल चला रहा है। बरौला के पते पर पुलिस पहुंची और राजपाल से बात की तो पता चला कि मोबाइल फोन में प्रयोग हुआ सिमकार्ड उसके नाम पर खरीदा गया है, लेकिन उसका प्रयोग संजीव गुर्जर कर रहा है। पुलिस कुछ देर बाद संजीव के पास पहुंची। थोड़ी देर में ही उसके पास से मोबाइल फोन भी बरामद हो गया।
पुलिस ने उससे पूछताछ की। पुलिस को लगा कि पायल का सुराग लगेगा। संजीव ने पुलिस को बताया कि उसने एक रिक्शे वाले से फोन खरीदा था तो पुलिस के पसीने छूट गए। रिक्शा वाला उस रास्ते से ही अपने घर जाता था। इसलिए उसके बारे में पुलिस को जानकारी मिल गई। आखिरकार, पुलिस रिक्शा चालक सतलरे के पास पहुंच गई। उसने पूछताछ में बताया कि पिछले महीने एक युवक उसके रिक्शे पर बैठकर सेक्टर-26 से निठारी सेक्टर-31 तक आया था। उसका मोबाइल रिक्शे में छूट गया। उस फोन को उसने कुछ दिन रखने के बाद बेच दिया था।
पायल के मोबाइल फोन में नवंबर में 9871215328 नंबर का प्रयोग किया गया। इसे सेक्टर-31 निठारी निवासी सुरेंद्र कोली के नाम पर खरीदा गया है। घनी आबादी से घिरे निठारी में इस नाम के युवक का पता लगाना आसान नहीं था। हुआ भी यही, पुलिस पता नहीं लगा पाई।
तभी कॉल डिटेल में 27 नवंबर 2006 की सुबह 11:07 बजे से लेकर दोपहर 1:13 बजे के बीच 01202453372 नंबर से 11 बार हुई बातचीत पर पुलिस की नजर टिकी। जांच अधिकारी विनोद पांडेय ने उस नंबर पर कॉल किया। फोन मोनिंदर पंधेर के चालक ने उठाया।
यही से कनेक्शन पंधेर व कोली से जुड़ा। पंधेर से पुलिस ने पूछा कि सुरेंद्र कोली कहां है तो उसने पुलिस को बताया गया कि वह उत्तराखंड अपने गांव गया है। पुलिस ने पंधेर को पायल के मोबाइल और उसमें चलाए गए सिम के बारे में बताया। पुलिस ने चालाकी से पंधेर को जाल में फंसाया और कहा कि कोली को पकड़वा दो, तुमको छोड़ देंगे।
पंधेर ने ही पुलिस को सुरेंद्र कोली का पूरा पता बताया। पंधेर के कहने पर ही उसका चालक पुलिस के साथ कोली के गांव तक गया। उत्तराखंड के अल्मोड़ा पहुंच कर नोएडा पुलिस ने 25 दिसंबर को कोली को पकड़ा। नोएडा लाकर उसका सामना पंधेर से कराया गया। दोनों एक दूसरे को देखते रहे।
कोली ने शुरूआती जांच में कुछ नहीं बताया। 27 दिसंबर तक पुलिस के हाथ कोई सुराग नहीं लगा। पुलिस ने फिर ऐसा पैंतरा अपनाया, जिसको सुनकर कोली टूट गया। पुलिस ने कहा कि पंधेर ने सब बता दिया है कि पायल को क्यों मारा। यह सुनकर कोली को लगा कि पंधेर की सच्चाई पुलिस को पता चल गई है तो उसने भी सब बता दिया। हालांकि, पुलिस ने हवा में तीर चलाया था जो कि सही जगह लगा।
कोली ने पायल के शव के तीन हिस्से किए थे। उसके बताए अनुसार 28 दिसंबर की रात पुलिस पंधेर की कोठी के पीछे पहुंची तो पायल की सैंडल वहां मिल गई। विश्वास हो गया कि कोली ने सच बताया है। हालांकि, उसके बाद पुलिस ने ज्यादा जांच नहीं की और केस सीबीआई को चलाया गया। यदि पुलिस उसी रात गहन सर्च अभियान चलाती तो मामले का उसी दिन पर्दाफाश हो जाता।
अब फैसला आने के बाद सीबीआई की जांच पर सवाल उठ रहे हैं। एक बार फिर यह केंद्रीय एजेंसी फेल हुई है। बात 2008 के आरुषि हत्याकांड की करें, कोयला घोटाले की या फिर 2G स्पेक्ट्रम घोटाला, सभी में यह एजेंसी फेल दिखाई दी है। अब निठारी कांड में इस एजेंसी के फेल होने पर पीले के परिवार वाले दुखी हैं। उनका कहना है कि उन्हें इस फैसले की उम्मीद नहीं थी।