कंचन वर्मा, रुद्रपुर : भाजपा की जिला और मंडल इकाइयों के साथ ही आनुसांगिक संगठनों में मनोनीत किए गए तमाम पदाधिकारी ऐसे हैं, जिन्होंने अभी तक अपने सदस्यता फार्म तक नहीं भरे हैं, ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर किस तरह इन पर भरोसा जताकर पार्टी ने उन्हें संगठन में अहम जिम्मेदारी सौंप दी। इसका जवाब भी जिम्मेदार लोगों के पास नहीं है। प्रदेश में भर्ती घोटाले के बीच इन मनमानी को लेकर दबी जुबान से ही सही मनोनयन घोटाले का शोर सुनाई देने लगा है।
ऊधमसिंह नगर भाजपा में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा। एक दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ मची है। इसका सीधा असर अनुशासन का दंभ भरने वाली इस पार्टी के ऐसे कार्यकर्ताओं पर पड़ रहा है जिन्होंने जिले में इस पार्टी को सींचने का काम किया है। उन्हें इग्नोर कर संगठन चलाने की रणनीति कहां तक काम आएगी यह तो आने वाला नगर निकाय और लोकसभा चुनाव ही बताएगा लेकिन तमाम बातें ऐसी निकल कर सामने आ रही हैं जिन्होंने पार्टी की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठा दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि जिला, मंडल और अनुसांगिक संगठनों में नियुक्त किए गए तमाम पदाधिकारी ऐसे हैं जिन्होंने अभी तक सदस्यता छोड़िए, फॉर्मेलिटी के तौर पर अपने फॉर्म तक नहीं भरे हैं। इनमें कुछ कांग्रेसी भी शामिल हैं। गाड़ियों पर झंडा लगाकर चलने वाले इन पदाधिकारियों की उत्पत्ति सीधे पार्टी में अहम पदों पर हुई है। उन्हें न तो अनुशासन पता है और न ही विश्व की सबसे बड़ी पार्टी कहलाने वाली भाजपा के नियम। थाने चौकियों में पक्ष विशेष को लेकर सिफारिश भर इनकी उपलब्धि है।
बड़ा सवाल यह है कि ऐसे में काडर वोट के सहारे भाजपा कैसे प्रदर्शन कर पाएगी ! दबी जुबान से ही सही पर भाजपा के वरिष्ठ नेता भी आजकल पार्टी में चल रहे इस खेल पर अपनी प्रतिक्रिया जता रहे हैं, लेकिन खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।
एक नेता जी ने तो यहां तक कह दिया कि ‘ क्या बोलें माहौल ही कुछ ऐसा चल रहा है ‘ उनकी इस बात से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि उनके दिल में कितनी पीड़ा है। एक पुराने भाजपाई ने तो यहां तक कह डाला कि रिश्वत के आरोप में पार्टी से निष्कासित किए गए लोगों तक को अहम जिम्मेदारी से नवाज कर आखिर जिम्मेदार लोग क्या साबित करना चाहते हैं। ऐसे लोगों का न तो कोई जमीनी स्तर है और न ही वजूद लेकिन उनको गले सिर्फ इसलिए लगाया गया क्योंकि वह सारे काम छोड़कर लगे हैं तो सिर्फ ‘ परिक्रमा ‘ में, और यही परिक्रमा उनकी उपलब्धि का आधार भी है। खैर जो भी हो लेकिन विरोध के स्वर अब फूटने लगे हैं।
- दक्षिण मंडल की कार्यसमिति में क्यों नहीं बुलाए गए पदाधिकारी !
रुद्रपुर : आजकल चर्चा में भाजपा रुद्रपुर दक्षिणी मंडल की कार्यसमिति है। सिटी क्लब में आयोजित कार्यसमिति में जिम्मेदार लोग प्रदेश पदाधिकारी, शक्ति केंद्र संयोजक और पार्षदों को ही बुलाना भूल गए। कुछ लोगों के पास फोन पहुंचा भी तो कार्यक्रम के लिए चंदा वसूली का। वहीं उत्तरी मंडल में तमाम पदाधिकारी ट्रांजिट कैंप से ही बना दिए गए। एससी मोर्चा का अध्यक्ष और ओबीसी मोर्चा का अध्यक्ष भी इसी क्षेत्र का बना दिया गया। ऐसे में तमाम पदाधिकारियों का अपने और पराए का सवाल उठाना लाजमी है।