एफएनएन, जोशीमठ : जोशीमठ आपदा प्रभावितों के पुनर्वास नीति जारी करते हुए सरकार ने स्पष्ट किया कि जोशीमठ का अध्ययन रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय होगा कि कितना क्षेत्र असुरक्षित है। उसी आधार पर पुनर्निर्माण कार्य किए जाएंगे। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा की ओर से जारी शासनादेश में बताया गया कि वर्तमान में केंद्र सरकार के आठ तकनीकी संस्थान जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव का तकनीकी दृष्टि से परीक्षण कर रहे हैं।
उन संस्थानों की तकनीकी रिपोर्ट से यह तय हो पाएगा कि जोशीमठ का कितना क्षेत्र असुरक्षित घोषित किया जाएगा। इसी रिपोर्ट से यह भी तय होगा कि कितने परिवारों को विस्थापित किया जाएगा। साथ ही जोशीमठ में पुनर्निर्माण और आपदा प्रबंधन के कार्यों के संबंध में भी तकनीकी संस्थान ही समाधान बताएंगे।
- स्थायी पुनर्वास रिस्क एसेसमेंट रिपोर्ट के बाद
शासन ने यह स्पष्ट किया कि जोशीमठ के प्रभावित लोगों के सुझाव और मांग को देखते हुए फिलहाल मुआवजा व विस्थापन की नीति निर्धारित की गई है। स्थायी पुनर्वास की कार्रवाई संस्थानों की रिस्क एसेसमेंट रिपोर्ट के बाद की जाएगी।जोशीमठ में भू-धंसाव के कारण दरारें पड़ने का सिलसिला थम नहीं रहा है।
शहर का मनोहरबाग वार्ड भू-धंसाव से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। यहां खेतों और आम रास्तों पर करीब 300 मीटर लंबी दरारें आई हैं। जिन्हें देखकर स्थानीय लोग हैरान हैं। यहां पर प्रशासन ने जिन जगहों पर पॉलिथीन डाली हुई थी वहां बड़े-बड़े गड्ढे बन रहे हैं। ये गड्ढे चार फीट से अधिक गहरे हैं।
आपदा प्रभावित सूरज कपरवाण का कहना है कि यहां औली रोपवे के पहले टावर से कुछ दूरी पर खेतों से लेकर माउंट व्यू होटल तक दरार पड़ी है। जो दिन प्रतिदिन चौड़ी हो रही है। इन दरारों को प्रशासन की टीम ने मिट्टी से भरकर इनपर पॉलिथीन डाल दिया था, लेकिन अब यहां फिर से दरारें पड़ने लगी है।