- प्राइवेट जॉब में लोगों को प्रयोग करने के लिए देते थे
- विदेशों तक में फर्जी डिग्री बनाकर लोगों को भेजते थे
- विश्वविद्यालय के उच्चाधिकारियों से भी थी सांठगांठ
एफएनएन, रुद्रपुर : मेट्रोपोलिस सिटी में चलाए गए चेकिंग अभियान में पुलिस के हाथ बड़ी कामयाबी लगी है। अभियान के दौरान पुलिस टीम द्वारा मेट्रोपोलिस सिटी के टावर नं एच 9 के फ्लैट नं 2 में चेकिंग कि तो फ्लैट में दो व्यक्ति गौरव चंद पुत्र जनक बहादुर चन्द निवासी चूनाभट्टा, थाना बनबसा, चंपावत व अजय कुमार पुत्र धर्मेन्द्र कुमार निवासी राजीव नगर थाना डोईवाला जिला देहरादून उम्र 25 वर्ष कूटरचित फर्जी मार्कशीट, डिग्री, माईग्रेशन सर्टिफिकेट, व कूटकरण के उपकरण के साथ हिरासत में लिए गए।
पूछताछ में पता चला कि पकड़े गए दोनों लडके आवास विकास स्थित कीरत ट्रेडिंग कंपनी के मालिक नवदीप सिंह भाटिया उर्फ पवन व उसके साथियों के साथ मिलकर विलियम कैरी यूनिवर्सिटी शिलांग मेघालय की फर्जी मार्कशीट, डिग्री, माइग्रेशन, प्रोविजनल ट्रांसक्रिप्ट सर्टिफिकेट आदि तैयार करते हैं। इन लोगों द्वारा संगठित रूप से अपराध किया जाता है तथा इनका नेटवर्क पूरे देश के अलग अलग राज्य के विश्वविद्यालयों में भी फैला है। उत्तराखंड में नवदीप भाटिया गैंग का मुख्य सरगना है। अब तक गैंग में नवदीप भाटिया के साथ बनबसा के नितेश चंद व विलियम कैरे यूनिवर्सिटी के विजय अग्रवाल व जितेन्द्र उर्फ सुखपाल शर्मा आदि लोगो का भी संलिप्त होना पता चला है।
गैंग के लोग इस शर्त पर फर्जी मार्कशीट आदि बनाते है कि आवेदक केवल प्राईवेट जॉब में थर्ड पार्टी के रूप में ही उनकी फर्जी मार्कशीट व डिग्री आदि प्रयोग में लाएंगे। जहां पर दस्तावेजो का सत्यापन नहीं होता हो। सरकारी जॉब पर दस्तावेजो की जांच होती है। ऐसी बड़ी बड़ी कंपनियों में जॉब के लिए यह लोग अपनी फर्जी मार्कशीट व डिग्री आदि नहीं लगाने के लिए युवक- युवतियों को पहले ही बता देते थे। जो युवक युवतियां इनकी फर्जी डिग्री के माध्यम से विदेश जाते हैं उनसे ये लोग काफी मोटी रकम वसूलते हैं तथा ऐसे लोगों की जानकारी इनके द्वारा विश्वविद्यालय के उच्च अधिकारियों को पहले से ही दे दी जाती है ताकि जब फर्जी दस्तावेजों की जाँच हो तो उच्चाधिकारी उक्त फर्जी डिग्री को सही के रूप में वेरिफाई कर दें।
गैंग का सरगना नवदीप भाटिया इस काम के लिए सभी सदस्यों को अच्छा खासा हिस्सा देता है। पकड़े गए दोनो लडको का मेट्रोपोलिस फ्लैट में रहना, खाना-पीना, बिजली बिल आदि सब कुछ फ्री था। ये लोग बीए, बीकॉम, बीएसी आदि स्नातक व परास्नातक की फर्जी मार्कशीट व डिग्रियां फर्जी वेबसाइट का उपयोग कर बनाते हैं तथा प्रत्येक डिग्री के लिए 15 से 20 हजार रुपये लेते हैं। विदेश जाने वाले लोगों से लाखों रुपये वसूलते हैं। आरोपियों से बरामद हुए मोबाइल फोन व लैपटाप से काफी महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं। जिसके सम्बंध में भी जांच की जा रही है।