मुकेश तिवारी, बरेली : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में रूहेलखंड मंडल की अपनी विशेष भूमिका रहती है और 2017 में यहां की 25 सीटों में से 23 सीटें भाजपा ने जीती थी। लेकिन इस बार भाजपा को इतिहास दोहराना चुनौती है क्योंकि इस बार समाजवादी पार्टी ने भाजपा को इस मंडल में जबरदस्त टक्कर दे रही है। बरेली जिले में 9 विधानसभा सीट है और 2017 में भाजपा ने 9 सीटों पर विजय प्राप्त की थी। लेकिन इस बार भाजपा में अंदरूनी गुटबाजी के चलते कैंट, बिथरी चेनपुर, नवाबगंज, भोजीपुरा, बहेड़ी विधानसभा सीट पर जीत की आशंका है।
क्योंकि कैंट विधानसभा सीट से लगातार विजयी रहे विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेश अग्रवाल का टिकट कटा दिया गया है और संजीव अग्रवाल पर पार्टी ने दांव लगाया है इस बात से राजेश अग्रवाल और उनके समर्थक बेहद नाराज़ हैं और यह सब चुपचाप अपने घरों में बैठ गए हैं। वहीं समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस पार्टी के पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन की पत्नी पूर्व महापौर सुप्रिया ऐरन को प्रत्याशी घोषित कर दिया। खास बात यह है कि प्रवीण सिंह ऐरन दो बार कैंट सीट से विधायक रहे चुके हैं और उनकी पत्नी सुप्रिया ऐरन महापौर रहे चुकी है। इन दोनों का कैंट विधानसभा क्षेत्र में मजबूत पकड़ है। इस क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता करीब एक लाख पच्चीस हजार है और वैश्य समाज के करीब 50 हजार वोट है इसके अलावा अन्य जातियों के मतदाता हैं। इन सभी धर्म व जातियों में श्रीमती ऐरन सीधा दखल रखती है।
इसलिए चलते कैंट विधानसभा सीट पर भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना है। भोजीपुरा सीट पर इस बार भाजपा,सपा और बसपा प्रत्याशियों के बीच में त्रिकोणीय मुकाबला है और भाजपा के प्रत्याशी विधायक बहोरन लाल मौर्य को बसपा के प्रत्याशी योगेश पटेल चुनौती दे रहे हैं क्योंकि योगेश पटेल भाजपा के बागी प्रत्याशी हैं और कुर्मी जाति से ताल्लुक रखते हैं। इस विधानसभा सीट पर मुस्लिम और कुर्मी जाति निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसलिए सपा बाजी मारी सकती है। नवाबगंज विधानसभा सीट पर भी भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा के प्रत्याशियों चुनाव मैदान में हैं। 2017 में भाजपा के केसर सिंह गंगवार विजय रहे थे। लेकिन कोरोना के चलते उनकी मौत हो गई। इस बार पार्टी ने डाक्टर एमपी आर्य गंगवार को प्रत्याशी बनाया है। जबकि केसर सिंह के पुत्र विशाल गंगवार टिकट मांग रहे थे और साथ ही उषा गंगवार भी टिकट की दौड़ में थी।
जोकि केसर सिंह की भाभी है। टिकट न मिलने पर उषा गंगवार ने कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गई और कांग्रेस पार्टी ने उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। यह सीट पर कुर्मी जाति का कब्जा रहता है और दूसरे नंबर पर मुस्लिम है। इसके चलते सपा प्रत्याशी पूर्व मंत्री भगवत शरण गंगवार की स्थिति काफी मजबूत नजर आ रही है।बिथरी चेनपुर सीट पर भाजपा, सपा के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना है। हालांकि इस बार वर्तमान भाजपा विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू का टिकट कट गया और टिकट कटने के पीछे कारण गुटबाजी है। इसलिए पार्टी ने नए चेहरे डॉक्टर राघवेंद्र शर्मा को प्रत्याशी बनाया है डॉ राघवेंद्र लंबे समय से आर एस एस से जुड़े हुए हैं। लेकिन राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू का टिकट अकारण काटने से क्षेत्रीय जनता में नाराजगी है और इस वजह से डॉ राघवेंद्र शर्मा को काफी मेहनत करनी पड़ रही है।
वहीं सपा ने पार्टी के अगम मौर्य को प्रत्याशी बनाया है जबकि इस सीट पर समाजवादी प्रगतिशील पार्टी के वरिष्ठ नेता वीरपाल सिंह यादव की प्रबल दावेदार थे लेकिन उन्हें सपा ने प्रत्याशी नहीं बनाया है इसके चलते वीरपाल सिंह नाराज़ हैं और इस वजह से सपा को भीतरघात नुकसान हो सकता है। बसपा ने पूर्व विधायक स्वर्गीय वीरेंद्र सिंह के पुत्र आशीष पटेल को प्रत्याशी घोषित किया है। लेकिन आशीष को अपने सगे चाचा देवेन्द्र सिंह का सहयोग नहीं मिल रहा है क्योंकि वह सपा में है और सपा प्रत्याशी अगम मौर्य की मदद कर रहे हैं। इस सीट पर भाजपा और सपा के बीच में दिलचस्प मुकाबला होने संभावना है। बहेड़ी सीट पर भी भाजपा के मंत्री छत्रपाल सिंह गंगवार और सपा के पूर्व विधायक अताउरहमान खां के बीच में कड़ा मुकाबला होने की संभावना हैं।