एफएनएन, देहरादून : कुन्नूर में हेलीकाप्टर हादसे में सीडीएस जनरल बिपिन रावत के निधन से शोकाकुल भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) की पासिंग आउट परेड भी सादगी के साथ हुई। पासिंग आउट परेड में इस बार उत्सव का माहौल नहीं था, बल्कि कई तरह के बदलाव भी परेड में दिखे।
वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सशस्त्र सेनाओं की जीत के पचास साल पूरे होने (स्वर्णिम विजय वर्ष) के अवसर पर इस बार आयोजित होने वाली पासिंग आउट परेड को यादगार बनाने की तैयारी थी। इसके लिए अकादमी प्रबंधन राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द समेत तमाम गणमान्यों की मेजबानी की तैयारियों में जुटा था, लेकिन इस बीच तीन तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलीकाप्टर हादसे के बाद पूरा परिदृश्य बदल गया।
इस हादसे में सीडीएस जनरल बिपिन रावत व उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत सेना व वायुसेना के 13 अधिकारियों व जवानों की मृत्यु हो गई थी। खुद सीडीएस जनरल रावत को राष्ट्रपति के साथ पीओपी में शामिल होना था। लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था। इन परिस्थितियों में पीओपी के तहत कई पूर्व निर्धारित कार्यक्रम तक रद करने पड़े। पासिंग आउट बैच के कैडेटों ने हाफ मास्ट (आधा झुका ध्वज) के बीच परेड, पीपिंग व ओथ सेरेमनी में शिरकत की। निरीक्षण अधिकारी चार घोड़ों वाली बग्गी (पटियाला कोच) में परेड मैदान में पहुंचते हैं। पर राष्ट्रपति कार से पहुंचे।
वहीं, विशिष्ट अतिथि आरट्रैक कमांडर ले जनरल राज शुक्ला भी दो घोड़ों वाली बग्गी के बजाए कार से परेड स्थल पर आए। इसके अलावा कैडेट अंतिम पग भरते हैं तो उन पर हेलीकाप्टर से फूल बरसाए जाते हैं। इस बार हेलीकाप्टर उड़े जरूर, पर उनसे पुष्प वर्षा नहीं की गई। वह बस आइएमए, भारतीय सेना व राष्ट्रीय ध्वज लहराते हुए निकल गए। परेड के बाद अकादमी के निशान (ध्वज) को झुकाकर जनरल रावत को श्रद्धांजलि दी गई। इसके अलावा पीपिंग सेरेमनी में भी जश्न माहौल सरीखा नहीं रहा।