Wednesday, December 18, 2024
03
20x12krishanhospitalrudrapur
previous arrow
next arrow
Shadow
Homeराष्ट्रीय1971 War: 30 लाख कत्ल...4 लाख रेप… जवाब में दुनिया ने देखा...

1971 War: 30 लाख कत्ल…4 लाख रेप… जवाब में दुनिया ने देखा था भारतीय सेना का रुद्र भयंकर ‘रुद्रावतार’

कदमों में बर्बर पाकिस्तान…और घुटनों पर थी बेइज्जती-शर्मिंदगी के ‘नर्क में गर्क’ 93 हजार ‘नर पशुओं’ की पाक फौज

एफएनएन नेशनल डेस्क, नई दिल्ली। 16 दिसंबर…आज के भारत की नई नस्ल को इस तारीख की गरिमा और रुतबे की शायद भनक तक नहीं है। सच यह है कि करोड़ों भारतीय घरों के कलेंडरों में लटकी यह तारीख बर्बर नरपशु पाक फौजियों को उन्हीं की जुबान में अधमता की सजा देने और उन्हें उनकी औकात दिखाने के लिए भारतीय सेना द्वारा इसी दिन लिए गए ‘रुद्र भयंकर रुद्रावतार’ की गौरव-दर्प भरी अविस्मरणीय और अद्वितीय विजयगाथा है।

अपनी जमीन बचाने या सीमाओं के विस्तार की खातिर दो दुश्मन देशों के बीच महीनों या वर्षों तक चलने वाले युद्ध और भयंकर रक्तपात को देखने की तो दुनिया अभ्यस्त है ही लेकिन यह अनोखा युद्ध था जो पड़ोसी देश के लाखों लोगों की अस्मिता और सम्मान की रक्षा की खातिर ॆॆभारतीय जांबाजों द्वारा रैपिड फायर राउंड स्टाइल’ में लड़ा और जीता भी गया था।

आज के करोड़ों भारतीय-बांक्लादेशी नौजवानों और बच्चों को तो शायद इल्म भी नहीं होगा कि अमेरिकी भीख के हथियारों वाली पाकिस्तानी फौज के हैवानों ने 25 मार्च 1971 से 16 दिसंबर 1971 के बीच पौने नौ माह के कालखंड में अपने ही मुल्क के एक बड़े हिस्से पूर्वी पाकिस्तान या बांग्लादेश में 30 लाख बेगुनाह बंगालियों को गाजर-मूली की तरह काट डाला था और दो लाख से चार लाख बंगालिन महिलाओं के रेप कर उन्हें शर्मिंदगी और जिल्लत की कभी भी ठंडी नहीं पड़ने वाली आग के समंदर में धकेल डाला था। एक करोड़ विस्थापित बांग्लादेशियों को पड़ोसी धर्म का पालन करते हुए भारत ने आधिकारिक रूप से शरण दी थी। यह सारा ब्यौरा ढाका-बांग्लादेश के लिबरेशन वॉर म्यूजियम में भी बाकायदे दर्ज है। लेकिन दुर्भाग्य तो देखिए कि बांग्लादेश से लेकर भारत तक के विद्यार्थी इस सच से अनजान ही हैं।

और फिर…. 16 दिसंबर 1971 का ‘सोने की कलम’ और “सोने की ही स्याही’ से इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज वह विजय दिवस भी आया जब पीड़ित-शोषित लाखों बांग्लादेशियों और बर्बर-अत्याचारी पाकिस्तानी फौजियों से लेकर पूरी दुनिया भारतीय सेना का वह ‘रुद्र भयंकर रुद्रावतार’ विस्म्मित-अचम्भित होकर देखने को विवश थी। कुछ ही दिनों के इस Victory Mission में 93 हजार पाकिस्तानियों की पूरी की पूरी फौज इंडियन आर्मी के जा बातों से घुटनों में पड़ी जिंदगी और सलामती की भीख मांग रही थी। यह आत्म समर्पण द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का विश्व के सबसे बड़े सामूहिक आत्मसमर्पण के रूप में भी दर्ज है। पाकिस्तानी फौज के पूर्वी कमान जनरल एए खान नियाजी सिर झुकाए इस सुप्रीम बेइज्जती के एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने को मजबूर थे और उनके सामने विजय दर्प से चमकते-दमकते भारतीय थल सेना की पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा तथा कई अन्य तत्कालीन शीर्ष सैन्य अधिकारी इस यादगार विजय‌ की अगुआई कर रहे थे।

बांग्लादेश युद्ध के दौरान बर्बर पाकिस्तानी फौजियों दंवारा हुई इस यौन हिंसा को आधुनिक इतिहास में सामूहिक बलात्कार (Mass Rape) का सबसे बड़ा मामला बताया जाता है। 1971 में युद्ध के दौरान रेप की राजनीति पर रिसर्च कर चुकीं मानवविज्ञानी नयनिका मुखर्जी कहती हैं कि युद्ध के दौरान रेप राजनीतिक हथियार बन जाता है। यह जीत का राजनीतिक हथकंडा और दुश्मन समुदाय के सम्मान पर आघात के समान है।

1947 में बंगाल का पूर्वी और पश्चिमी बंगाल में विभाजन हुआ था. पश्चिम बंगाल भारत के अधीन ही रहा जबकि पूर्वी बंगाल का नाम बदलकर पूर्वी पाकिस्तान हो गया, जो पश्चिमी पाकिस्तान (पाकिस्तान) के अधीन था. यहां एक बड़ी संख्या बांग्ला बोलने वाले बंगालियों की रही और यही कारण था कि भाषाई आधार पर पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) ने पाकिस्तान के प्रभुत्व से बाहर निकलने की कोशिश की और आजादी का बिगुल बजाया.

1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान एक अनुमान के अनुरूप लगभग एक करोड़ लोग बांग्लादेश से भागकर भारत आ गए थे. इन लोगों ने उस समय पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम जैसे इलाकों में शरण ली थी.

यह कोई पहला मौका नहीं था, जब इतनी बड़ी संख्या में बांग्लादेश के लोगों ने भारत में शरण ली थी। इससे पहले 1960 के दशक में भी ऐसा देखने को मिला था।‌1964 में पूर्वी पाकिस्तान के दंगों और 1965 में भारत और पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी लगभग छह लाख लोग भारत की सीमा में दाखिल हुए थे।‌ वहीं, 1946 और 1958 के बीच लगभग 41 लाख और 1959 से 1971 के बीच 12 लाख बांग्लादेशी भारत आए थे।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments