- ‘ ईगो ‘ को लेकर धनीराम की सदस्यता निरस्त की गई, जिलाध्यक्ष बोले- पूर्व विधायक ने संगठन को विश्वास में नहीं लिया
कंचन वर्मा, किच्छा (ऊधमसिंह नगर) : भाजपा में यह सब क्या चल रहा है ! ‘ ईगो ‘ के लिए संगठन में किसी को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया जा रहा है। ताजा मामला किच्छा के पूर्व सभासद धनीराम से जुड़ा है। अभी कुछ घंटे पहले ही उनको धूमधाम से पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई गई थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें ‘ लुटेरा ‘ बताकर अपना नाता तोड़ लिया है। भाजपा जिला अध्यक्ष विवेक सक्सेना की मानें तो पूर्व विधायक राजेश शुक्ला ने धनीराम को शपथ दिलाने से पहले संगठन को विश्वास में नहीं लिया। धनीराम पर अभी हाल ही में लूट का मुकदमा दर्ज हुआ है और इस मुकदमें से बचने के लिए ही उन्होंने भाजपा का दामन थामा था। Front News Network की टीम इस मामले में गहराई तक गई तो पता लगा धनीराम का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है।
वह लगातार तीन बार किच्छा से सभासद रहे हैं। पार्टी ने उनका टिकट काटा तो उन्होंने बागी होकर चुनाव लड़ा और भाजपा प्रत्याशी को कुछ वोट ही हासिल हो सके। धनीराम ने भाजपा में वापसी की इच्छा जताई तो पूर्व विधायक राजेश शुक्ला ने उन्हें सम्मान के साथ फूल मालाएं पहनाकर सदस्यता ग्रहण करा दी। यह सब जिला संगठन को नागवार गुजरा। मामला ईगो में ऐसा फंसा कि धनीराम पर दर्ज उस मुकदमे को आधार बनाया गया जो बच्चो के विवाद में उन पर दर्ज हुआ था। कथित लूट के एकमात्र इस मुकदमें का संज्ञान लेते हुए धनीराम की पार्टी से सदस्यता 24 घंटे के भीतर ही निरस्त कर दी गई।
बड़ा सवाल ये भी है कि भाजपा के तमाम मंत्रियों, विधायकों, पार्षदों और नेताओं पर गंभीर धाराओं के मुकदमे चल रहे हैं, क्या पार्टी इन लोगों को भी बाहर का रास्ता दिखाएगी ? क्या इन लोगों की भी सदस्यता निरस्त करने के आदेश जारी किए जाएंगे ? धनीराम पर दर्ज जिस मुकदमे की बात की जा रही है, उसको पुलिस ही सही नहीं मानती और जल्द इसमें फाइनल रिपोर्ट लगने वाली है। किच्छा पुलिस की मानें तो धनीराम पर और कोई मुकदमा दर्ज नहीं है। बड़ा सवाल यह उठता है कि पार्टी अखिर क्या साबित करना चाहती है।
- संगठन के संज्ञान में सारे तथ्य लाए गए हैं, हल निकल आएगा : शुक्ला
धनीराम प्रकरण में जब हमारी पूर्व विधायक राजेश शुक्ला से बात हुई, तो उनका कहना था कि धनीराम पार्टी के समर्पित सिपाही हैं। वह तीन बार लगातार किच्छा के सभासद रहे हैं। चौथी बार उनका टिकट काटे जाने पर वह भाजपा प्रत्याशी के विरोध में चुनाव लड़े और इस सीट पर भाजपा को नाम मात्र के वोट पड़े। अब धनीराम ने संगठन में विश्वास जताते हुए वापसी की उम्मीद जताई तो उन्हें पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई गई। राजेश शुक्ला ने कहा कि संगठन को सारी स्थिति से अवगत करा दिया गया है, जल्द ही इसका हल निकल आएगा।
- जानें, भाजपा के कौन लोग विरोध में उतरे
पार्टी में धनीराम की सदस्यता का विरोध करने वाले कोई और नहीं, वही लोग हैं जिन्होंने विधानसभा चुनाव में राजेश शुक्ला को भीतरघात कर चुनाव हरवाया था। अभी भी वह पूर्व विधायक के किसी भी निर्णय पर विरोध जताते देखे जा सकते हैं। धनीराम की सदस्यता पर इन लोगों का ईगो जाग गया, हालांकि वजह यह भी रही कि संगठन को इससे अवगत नहीं कराया गया।