एफएनएन, देहरादून : प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयों को सरकार पांच से 10 लाख रुपये तक पुरस्कार देगी। नैक (राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद) मूल्यांकन को प्रोत्साहित करने एवं महाविद्यालयों के बीच सकारात्मक प्रतिस्पर्धा के लिए ग्रेडिंग के हिसाब से यह धनराशि दी जाएगी।
शासन ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। शासन के आदेश के मुताबिक महाविद्यालयाें को विभाग के तहत गठित कॉर्पस फंड के माध्यम से यह धनराशि दी जाएगी। बी ग्रेड वाले महाविद्यालयों को पांच लाख और ए डबल प्लस वाले महाविद्यालयों को पुरस्कार के रूप में 10 लाख की धनराशि मिलेगी।
- 27 महाविद्यालय नैक मूल्यांकन करा चुके
इसके अलावा ए प्लस ग्रेड पर 9 लाख, एक ग्रेड पर आठ लाख, बी डबल प्लस पर सात और बी प्लस पर छह लाख रुपये पुरस्कार के रूप में मिलेंगे। उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक अब तक 27 महाविद्यालय नैक मूल्यांकन करा चुके हैं।
वर्ष 2022-23 में 19 महाविद्यालयों ने नैक मूल्यांकन कराया है। आदेश में कहा गया है कि महाविद्यालयों को पुरस्कार के रूप में मिलने वाली इस धनराशि को उत्तराखंड राजकीय महाविद्यालय छात्रनिधि नियमावली 2020 में दी गई व्यवस्था के तहत ही खर्च किया जा सकेगा। पुरस्कार की राशि पिछले साल नैक मूल्यांकन कराने वाले महाविद्यालयों एवं भविष्य में नैक मूल्यांकन वाले महाविद्यालयों को मिलेगी। पुरस्कार के लिए नियमानुसार बजट में व्यवस्था की जाएगी।
27 राजकीय महाविद्यालय करा चुके नैक मूल्यांकन, ए ग्रेड एक को भी नहीं
प्रदेश के 27 राजकीय महाविद्यालय नैक मूल्यांकन करा चुके हैं, लेकिन ए या ए प्लस ग्रेड एक भी महाविद्यालय को नहीं मिला। नैक मूल्यांकन करा चुके महाविद्यालयों में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय डोईवाला, महाविद्यालय चौबट्टाखाल, टनकपुर, लोहाघाट, रानीखेत, द्वाराहाट, अगस्त्यमुनि, हल्द्वानी, रामनगर, पिथौरागढ़, काशीपुर, उत्तरकाशी, बेरीनाग, महिला महाविद्यालय हल्द्वानी, नरेंद्रनगर, कोटद्वार भाबर, रायपुर, चकराता, तलवाड़ी, कोटद्वार, पुरोला, त्यूनी, चंद्रबदनी, हल्दूचौड़, बड़कोट व राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कर्णप्रयाग शामिल हैं।
- शिक्षा मंत्री ने ये दिए थे निर्देश
शिक्षा मंत्री डॉ.धन सिंह रावत ने पिछले साल हुई विभाग की बैठक में सभी महाविद्यालयों के अनिवार्य रूप से नैक मूल्यांकन के निर्देश दिए थे। मंत्री का कहना था कि मार्च 2023 तक ऐसा न करने वाले अशासकीय महाविद्यालयों की मान्यता समाप्त की जाएगी। जबकि राजकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई होगी, लेकिन मंत्री के निर्देश के बाद भी इस तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई।