
एफएनएन, देहरादून: वक्फ संशोधन के बाद उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों को ऑनलाइन रजिस्टर्ड करने का 5 दिसंबर को आखिरी दिन है. उत्तराखंड में अभी तक 75 फीसदी से ज्यादा वक्फ प्रॉपर्टी ऑनलाइन नहीं हो पाई हैं.
वक्फ संपत्ति ऑनलाइन रजिस्टर करने का आज आखिरी दिन: देश में नए वक्फ बिल संशोधन के बाद पूरे देश भर में वक्फ संपत्तियों को ऑनलाइन उम्मीद पोर्टल पर रजिस्टर करने की कवायत शुरू की गई थी. केंद्र सरकार ने 6 जून 2025 को उम्मीद पोर्टल वक्फ बोर्ड संपत्तियों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए खोल दिया था, जिसकी अंतिम तिथि 5 दिसंबर 2025 है. यानी कि आज उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों को ऑनलाइन रजिस्टर करने का आखिरी दिन है.
उत्तराखंड में 75 फ़ीसदी से ज्यादा संपत्ति नहीं हुई ऑनलाइन: उत्तराखंड की वक्फ संपत्तियों की बात की जाए तो प्रदेश में मौजूद 5,788 वक्फ संपत्तियों में से अब तक 75 फीसदी से ज्यादा वक्फ संपत्तियां ऐसी हैं, जो ऑनलाइन उम्मीद पोर्टल पर रजिस्टर नहीं की गई हैं. देश भर में वक्फ संपत्तियों को ऑनलाइन उम्मीद पोर्टल पर रजिस्टर करने के लिए बड़ी मुहिम चलाई गई थी. लेकिन 6 महीने के लंबे समय के बावजूद भी संपत्तियां इस पोर्टल पर रजिस्टर नहीं हो पाई हैं. उत्तराखंड की 5,788 वक्फ संपत्तियों में से केवल 1,417 संपत्तियां ऑनलाइन उम्मीद पोर्टल पर रजिस्टर्ड हुई हैं जो कि कुल संपत्तियों का मात्र 24.48 फीसदी है. इस तरह से बक्फ संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा तकरीबन 75.62% ऐसा है जो कि अभी भी सरकार के ऑफिशियल डाटा से बाहर है.
कम संपत्तियां ऑनलाइन होने पर वक्फ बोर्ड अध्यक्ष ने जताई चिंता: उत्तराखंड वक्फ बोर्ड अध्यक्ष शादाब शम्स ने इस विषय पर कहा कि- यह उत्तराखंड के लिए बेहद चिंता का विषय है कि बहुत कम संपत्तियां ऑनलाइन पोर्टल पर रजिस्टर्ड हुई हैं. संपत्तियां ऑनलाइन रजिस्टर न होने के पीछे कुछ कारण पोर्टल का स्लो होना है. लोग लगातार कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इतनी स्पीड से काम नहीं हो पा रहा है. इसके अलावा इतनी बड़ी संख्या में वक्फ संपत्तियों का ऑनलाइन रजिस्टर न होने के पीछे एक और बड़ा कारण भी है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा लगातार संपत्तियों को ऑनलाइन रजिस्टर करने का विरोध करना और इसको लेकर दुष्प्रचार करना भी इसकी एक बड़ी वजह है. -शादाब शम्स, अध्यक्ष, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड-
उम्मीद पोर्टल के खिलाफ मस्जिदों से किया गया ऐलान: उत्तराखंड वक्फ बोर्ड अध्यक्ष शादाब शम्स ने बताया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा लगातार लोगों के बीच में ये ऐलान किया गया कि कोई भी वक्फ संपत्ति को ऑनलाइन रजिस्टर न करे. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों द्वारा यह अभियान चलाया गया कि कोई भी वक्फ प्रॉपर्टी को उम्मीद पोर्टल पर दर्ज न करें. इसके लिए बाकायदा मस्जिदों में ऐलान किया गया. व्हाट्सएप पर लोगों को मैसेज सर्कुलेट किए गए. हालांकि बाद में जब लोगों को अपनी गलती का एहसास हुआ, तो लोगों ने अपनी गलती सुधारी और ऑनलाइन रजिस्टर करना चाहा. लेकिन पोर्टल पर बहुत ज्यादा दबाव होने की वजह से स्लो स्पीड की वजह से लोग नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो काम 6 महीने में होना था, उसे आखिरी समय में कोशिश की गई की डेढ़ महीने में हो जाए. निश्चित तौर से यही वजह है कि बहुत कम संपत्तियां देश भर में उम्मीद पोर्टल पर रजिस्टर्ड हो पा रही हैं. इसी कड़ी में उत्तराखंड का भी यही हाल है.





