राज सक्सेना, किच्छा: प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल चुनाव की घोषणा के बाद से ही चुनाव में नये-नये मोड़ सामने आ रहे है, पहले चुनाव को लेकर प्रत्याशियों द्वारा हंगामा तथा चुनाव तिथि को आगे बढ़ाने की मांग के साथ वोट बनाने की प्रक्रिया पर सवाल खड़ा कर संचालन समिति को सवालों के घेरे में खड़ा करना, जिसके बाद व्यापार मंडल चुनाव में भाजपा-कांग्रेस की एंट्री के चर्चाओं में आने के बाद चुनाव ने नया मोड़ ले लिया, फिलहाल चुनावी चर्चाओं में कितनी सत्यता है इस बात की पुष्टी नहीं की जा सकती, फिलहाल बाजार में चल रही नई-नई चर्चाओं ने चुनावी सरगर्मियों को तेज अवश्य कर दिया।
विदित हो कि चुनाव संचालन समिति द्वारा विगत दिनों पूर्व प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल की निवर्तमान कार्यकारणी को भंग करते हुए चुनाव की घोषणा कर दी थी, घोषणा के बाद से ही निवर्तमान पदाधिकारियों द्वारा चुनाव संचालन समिति पर वोट बनाने की प्रक्रिया, चुनाव को आगे बढ़ाने की मांग के साथ चुनाव का बहिष्कार कर दिया था।
परन्तु चुनाव संचालन समिति द्वारा हंगामे के बावजूद चुनाव प्रक्रिया को सुचारू रखते हुए व्यापारियों के वोट बनाये जाने की प्रक्रिया को संचालित रखा गया। बताते चले कि वोट बनाने की प्रक्रिया के अंतिम दिनों के नजदीक आते-आते चुनाव में नया मोड़ आ गया, चर्चाओ को सत्य माने तो व्यापार मंडल चुनाव में पहली बार भाजपा-कांग्रेस की एंट्री हो गयी।
ऐसे में देखने वाली बात होगी कि राजनीतिक पार्टी के चुनावी मैदान में उतरने के बाद व्यापार मंडल चुनाव खटाई में पड़ता है या फिर व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने के लिए नवीन पदाधिकारियों का नेतृत्व मिलता है, फिलहाल ऐसे अनेक सवाल समय के गर्भ में है।
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निमयों के घेरे में लाकर व्यापार मंडल चुनाव टलवाने का हो रहा प्रयास
किच्छा: व्यापार मंडल चुनाव को घोषणा के बाद से ही रद्द कराने का प्रयास निवर्तमान पदाधिकारियों द्वारा किया जा रहा था। जिसको लेकर स्थानीय व्यापारियों के भी दो गुट हो गये, जिसमें एक पक्ष लगातार चुनाव संचालन समिति से चुनाव कराये जाने की, बल्कि दूसरा पक्ष चुनाव रद्द कराये जाने की मांग उठा रहा था।
ऐसे में चर्चाओं की माने तो दूसरे पक्ष द्वारा चुनाव संचालन समिति को निमयों के घेरे में खड़ा कर चुनाव रद्द कराने में सफलता हासिल कर ली जायेगी। सम्भावना व्यक्त की जा रही है, कि चुनाव संचालन समिति के चुनाव कराये जाने वाले फैसले पर करारा झटका लग सकता है। फिलहाल व्यापार मंडल चुनाव में भाजपा-कांग्रेस की एंट्री व्यापारियों के लिए भी भारी पड़ सकती है।