एफएनएन, देहरादून : उत्तराखंड में जंगलों की आग से टेंशन कम नहीं हो रही है। आग से जलकर दो लोगों की मौत हो गई है। कुमाऊं क्षेत्र के जंगलों की लगी आग अब गढ़वाल मंडल के क्षेत्रों में पहुंच गई है। बागेश्वर के जंगलों की आग, इससे सटे चमोली जिले के देवाल क्षेत्र में पहुंच गई है।
देवाल में शुक्रवार को आग बुझाने के दौरान एक महिला वनकर्मी पहाड़ी के गिरे पत्थर की चपेट में आकर घायल हो गई। उधर, अल्मोड़ा के ताकुला में गुरुवार को जंगल की आग से जले दो और श्रमिकों की शुक्रवार को मौत हो गई। इसी घटना में घायल एक अन्य महिला श्रमिक को ऋषिकेश एम्स रेफर किया गया है।
90 फीसदी जल चुकी महिला श्रमिक की हालत नाजुक बनी हुई है। इसके अलावा, रानीखेत में वलना ग्रामसभा के सैकुड़ा तोक में दो बंद मकानों को चपेट में ले लिया। बागेश्वर में एक मंदिर में रखा छह तोला सोना भी आग की भेंट चढ़ गया।
वन अधिकारियों के अनुसार, कुमाऊं के बागेश्वर के गढ़ खेत, दावों के जंगलों में लगी आग पूर्वी पिंडर रेंज के लिगड़ी में पहुंच गई है। गुरुवार को अल्मोड़ा जिले में ताकुला के जंगल में आग धधकने से लीसा निकाल रहे नेपाली मजदूर दीपक पुजारा उनकी पत्नी तारा उर्फ शीला पुजारा, ज्ञान बहादुर और उनकी पत्नी पूजा बुरी तरह झुलस गए थे।
35 वर्षीय दीपक पुजारा की गुरुवार को ही मौत हो चुकी थी, जबकि शुक्रवार को उनकी पत्नी शीला और ज्ञान बहादुर ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। एसटीएच प्राचार्य डॉ अरुण जोशी ने बताया कि 90 फीसदी जली पूजा को एम्स ऋषिकेश रेफर कर दिया गया है।
उधर, रानीखेत में सेना के जवानों ने आग पर काबू पाया। वहीं, उत्तरकाशी में गुरुवार देर रात से बाड़ाहाट रेंज जंगलों में भीषण आग लगी हुई है। जंगलों की आग के धुएं ने तीर्थनगरी देवप्रयाग सहित पूरे क्षेत्र को अपने आगोश में ले लिया है।
एक हजार 86 हेक्टेयर जंगल अब तक खाक
वन विभाग के अनुसार, उत्तराखंड में गुरुवार दोपहर बाद से शुक्रवार दोपहर बाद चार बजे तक 24 घंटे में वनाग्नि की 64 घटनाएं की दर्ज की गईं। इसमें 75 हेक्टेयर जंगल जल गए। उत्तराखंड में इस फायर सीजन में शुक्रवार तक जंगलों में आग की 868 घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं। इसमें 1086 हेक्टेयर जंगल जल चुका है।
जंगल की आग बुझाने वालों का विशेष बीमा
जंगलों की आग बुझाने वाले वनकर्मी और फायर वॉचरों को विशेष जीवन बीमा का लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के निर्देश पर वन विभाग प्रस्ताव बना रहा है। प्रदेशभर में करीब चार हजार फायर वॉचर तैनात हैं। इनमें से किसी के साथ अनहोनी पर मुआवजे या आर्थिक मदद का प्रावधान नहीं है।