Friday, November 22, 2024
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Homeअंतरराष्ट्रीयचीन पर लगाम लगाने के लिए भारत-अमेरिका के साथ आया रूस !

चीन पर लगाम लगाने के लिए भारत-अमेरिका के साथ आया रूस !

एफएनएन, नई दिल्ली: भारत के साथ लद्दाख में सीमा विवाद बढ़ा रहे चीन ने अब रूस के शहर व्लादिवोस्तोक पर अपना दावा किया है। चीन के सरकारी समाचार चैनल सीजीटीएन के संपादक शेन सिवई ने दावा किया कि रूस का व्लादिवोस्तोक शहर 1860 से पहले चीन का हिस्सा था। कहा कि इस शहर को पहले हैशेनवाई के नाम से जाना जाता था जिसे रूस से एकतरफा संधि के तहत चीन से छीन लिया था। चीन में सभी मीडिया संगठन सरकारी हैं। इसमें बैठे लोग चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इशारे पर ही कुछ भी लिखते हैं। कहा जाता है कि चीनी मीडिया में लिखी गई कोई भी बात वहां के सरकार के सोच को दर्शाती है।

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रूस का सीमा विवाद का मुद्दा खत्‍म नहीं

चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्‍लोबल टाइम्‍स ने इसे हैशेनवाई बताया है। चीन में ऐसे कई पोस्‍टर लगाए गए हैं जिसमें सरकार से हैशेवाई पर स्थिति स्पष्ट करने और क्रीमिया के बारे में अपना रुख बदलने की मांग की गई है। रूस ने वर्ष 1904 में चीन पर कब्‍जा कर लिया था। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन में इस विरोध के बाद रूस को यह अहसास हो गया है कि सीमा विवाद का मुद्दा अभी खत्‍म नहीं हुआ है।

भारत को हथियारों की आपूर्ति

चीन और भारत के बीच में गलवान घाटी में खूनी संघर्ष हुआ था। इसके बाद भारत के रक्षा मंत्री ने रूस की यात्रा की थी और फाइटर जेट तथा अन्‍य घातक हथियारों की आपूर्ति के लिए समझौता किया था। इसकी चीन में काफी आलोचना हो रही है। उधर, रूस का कहना है कि वह भारत को हथियारों की आपूर्ति गलवान हिंसा के पहले से ही कर रहा है। भारत के एयरक्राफ्ट कैरियर से लेकर परमाणु सबमरीन सब रूसी है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय भारत का हथियारों का बाजार अमेरिका और फ्रांस के कारण बहुत प्रतिस्‍पर्द्धात्‍मक हो गया है। रूस इसे खोना नहीं चाहेगा।

यूक्रेन के साथ चीन की दोस्‍ती रूस को नापसंद

रूस को चीन और यूक्रेन के बीच सहयोग पसंद नहीं है। चीन यूक्रेन के साथ सैन्‍य और बिजनस मामलों को लेकर सहयोग कर रहा है। इसके अलावा चीन रूस के हथियारों का डिजाइन चुराकर अपने यहां प्रॉडक्शन कर रहा है और उसे वैश्विक हथियारों के बाजार में बेच रहा है।

इंडो-पैसफिक में पार्टनर होंगे रूस और अमेर‍िका !

भारत ने रूस को इंडो-पैसिफिक रीजन में अमेरिका के नेतृत्‍व वाले ग्रुप में शामिल होने का सुझाव दिया है। माना जाता है कि इस ग्रुप का गठन चीन की दादागिरी को रोकने के लिए किया गया है। कहा जा रहा है कि रूस के उप विदेश मंत्री इगोर मुर्गुलोव और भारत के रूस में राजदूत डी बाला वेंकटेश के बीच वार्ता में इस प्रस्ताव पर बातचीत हुई। भारत ने कथित रूप से रूस से कहा है कि वह मास्‍को के ग्रेटर यूरेसिया प्रॉजेक्‍ट का समर्थन करता है।

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इस सुझाव पर चीन के विश्‍लेषक भड़क उठे हैं। वे इसे चीन के साथ धोखा करार दे रहे हैं। कुछ तो यह भी कह रहे हैं कि रूस को नाटो में ही शामिल हो जाना चाहिए जिसे उसे (रूस को) रोकने के लिए बनाया गया था। विश्‍लेषकों का कहना है कि अगर रूस को सटीक ऑफर दिया गया तो वह इंडो-पैसफिक ग्रुप में शामिल हो सकता है। इसके जरिए रूस इंडो पैसफिक इलाके में अमेरिकी प्रभुत्‍व को ग्रुप के अंदर ही रहकर कम कर सकेगा। हालांकि कई लोग यह भी रूस किसी ऐसे गुट में शामिल नहीं होगा जो चीन विरोधी है।

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