- मोदी सरकार की कैबिनेट मीटिंग में योजना को दिखाई गई हरी झंडी, कोरोना की मार से बिलबिला रहे प्राइवेट सेक्टर को मिलेगी संजीवनी
एफएनएन, नई दिल्लीः 15 हजार माहवार से कम पगार पाने वाले प्राइवेट सेक्टर के मजदूरों के लिए तो यह एक बहुत अच्छी खबर है ही, वैश्विक महामारी कोरोना की मार से अंतिम सांसें गिन रहे प्राइवेट सेक्टर को भी मोदी सरकार के इस महत्त्वपूर्ण फैसले से बेशक जीवनदान मिलेगा। दरअसल प्राइवेट सेक्टर के श्रमिकों के पीएफ का खर्चा नियोक्ताओं के बजाय खुद केंद्र सरकार द्वारा वहन करने की अहम योजना के बारे में करीब महीने भर से खबरें आ रही थीं, मोदी सरकार की कैबिनेट की बैठक में उस फैसले को हरी झंडी दे दी गई है।
बताते चलें कि मोदी सरकार के इस बड़े फैसले से प्राइवेट सेक्टर के 15 हजार रुपये माहवार से कम पगार पाने वाले कर्मचारियों की सैलरी बढ़ जाएगी। कैबिनेट की बैठक में उसे मंजूरी मिल गई है। इस योजना के तहत नियोक्ताओं और कर्मचारियों-दोनों के हिस्से का पीएफ सरकार जमा करेगी। प्राइवेट सेक्टर के नियोक्ताओं-श्रमिकों को यह लाभ आगामी जून 2021 तक दिया जाएगा। केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत इस योजना को संचालित किया जाएगा।
15 हजार से कम पगार वाले मजदूर होंगे लाभान्वित
इस योजना के तहत इस वर्ष पहली अक्टूबर से 30 जून, 2021 के बीच 15,000 रुपये से कम मासिक वेतन पर रखे जाने वाले कर्मचारियों की भविष्य निधि (पीएफ) के दोनों अंश की राशि का भुगतान सरकार करेगी। अगले दो वर्षों के लिए सरकार यह भुगतान करेगी। हालांकि इस भुगतान को लेकर कई शर्तें भी रखी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज-3.0 के तहत घोषित आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना को मंजूरी दे दी। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने बताया कि इस योजना के लिए ईपीएफओ एक सॉफ्टवेयर को विकसित करेगा और एक पारदर्शी एवं जवाबदेह प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी।
इस योजना पर चालू वित्त वर्ष में होने वाले खर्च के लिए कैबिनेट ने 1,584 करोड़ रुपये की धनराशि और पूरी योजना अवधि 2020-2023 के लिए 22,810 करोड़ रुपये के व्यय को अनुमति दी है। कैबिनेट के फैसले के मुताबिक जिन रोजगार प्रदाता संगठनों में कर्मचारियों की संख्या 1,000 तक है वहां भर्ती होने वाले नए कर्मचारियों के दोनों तरफ (नियोक्ता व कर्मचारी) का पीएफ योगदान (वेतन का 24 फीसद) केंद्र सरकार करेगी। जिन रोजगार प्रदाता संगठनों में 1,000 से अधिक कर्मचारी हैं वहां केन्द्र सरकार नए कर्मचारियों के संदर्भ में दो वर्ष की अवधि के लिए ईपीएफ में केवल 12 प्रतिशत कर्मचारी योगदान देगी।
फैसले के मुताबिक कोई भी ईपीएफ सदस्य जिसके पास यूनिवर्सल एकाउंट नंबर है और उसका मासिक वेतन 15,000 रुपये से कम है और यदि उसने कोविड महामारी के दौरान पहली मार्च से 30 सितंबर तक की अवधि में अपनी नौकरी छोड़ दी है या छूट गई है और उसे ईपीएफ के दायरे में आने वाले किसी रोजगार प्रदाता संस्थान में 30 सितंबर तक रोजगार नहीं मिला है, वह भी इस योजना के लाभ का पात्र होगा।