- एसएचओ ने अधिकारियों से बोला झूठ, पहले बर्थडे फिर बताई किटी पार्टी
बरेली : प्रेमनगर के एक बड़े सट्टेबाज को बचाने में प्रेमनगर पुलिस खुद फंस गई है। एसएसपी घुले सुशील चंद्रभान ने इस मामले की जांच सीओ प्रथम श्वेता यादव को दी है। सीओ ने मौके पर जाकर जांच पड़ताल की तो पता लगा कि वहां फायरिंग हुई थी। समझौता कराने वाला भाजपा नेता भी अंडरग्राउंड हो गया है। प्रेमनगर के मोहल्ला एकतानगर में रहने वाले सटोरिया के घर बुधवार रात कई सटोरिये समेत काफी लोग पहुंचे थे। देर रात शराब पी गई। इसी दौरान कुछ कहासुनी होने पर शराब के नशे में धुत लोगों ने कई राउंड फायरिंग कर दी। सूचना पर यूपी 112 के साथ ही प्रेमनगर पुलिस भी मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों के लोगों को थाने ले आई। मेडिकल कराया तो तीनों के शराब पिये होने की पुष्टि हुई। मामले ने तूल तब पकड़ा जब प्रेमनगर पुलिस ने कहानी ही उलट दी। बताया कि वीर सावरकर नगर निवासी प्रियंक अग्रवाल व वैष्णो एन्क्लेव निवासी आयुष अग्रवाल के बीच विवाद हुआ था। हरिशंकर प्रियंक के बचाव के लिए आगे आया। तीनों का मेडिकल कराया गया। इस बीच भाजपा नेता थाने पहुंचे और तीनों को छात्र बताया। भविष्य होने का हवाला देते हुए तीनों में समझौता करा दिया जिसके बाद पुलिस ने सभी को छोड़ दिया। इसी के बाद प्रेमनगर पुलिस का खेल उजागर हो गया और पूरा घटनाक्रम सामने आ गया। सीओ की प्राथमिक जांच में सट्टेबाज के घर पार्टी की बात की पुष्टि हुई है। एसएसपी घुले सुशील चंद्रभान ने बताया कि पूरे मामले में प्रेमनगर पुलिस की भूमिका की जांच सीओ प्रथम को सौंप दी गई है। रिपोर्ट के आधार पर मामले में अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। पूरे मामले की जांच पड़ताल शुरू हुई तो इंस्पेक्टर ने बताया गया कि सट्टेबाज के घर बर्थडे पार्टी थी। जब एसएसपी और सीओ ने केक के फोटो मांगे। जब केक के फोटो नहीं मिले तो वह बोले की किटी पार्टी थी। पता चला कि जिले भर के सट्टेबाज और जुआरी एक जगह एकत्र थे। उन्होंने अपनी वीसी डाली थी। वीसी जब खुली तो करीब 50 लाख रुपये का एमाउंट था। इसको लेकर शराब पीकर मारपीट हुई। कहासुनी के बाद मारपीट हुई थी। इस पूरे मामले को प्रेमनगर पुलिस दबाने में जुट गई। इसके बाद खुद ही फंस गई।