एफएनएन विदेश डेस्क, वाशिंगटन: नए साल के पहले ही दिन पाकिस्तान अगले दो साल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का अस्थायी सदस्य बना है। अस्थायी सदस्य के रूप में यूएनएसी में पाकिस्तान का यह आठवां कार्यकाल है। जून में जापान की जगह चुने गए पाकिस्तान ने यूएनएससी में एशिया-पैसिफिक की दो सीटों में से एक पर कब्जा किया है। वह जुलाई में यूएनएससी की अध्यक्षता भी करेगा।
पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र की इस्लामिक स्टेट और अलकायदा प्रतिबंध समिति में भी एक सीट मिलनी तय है। ये समितियां इन कट्टरपंथी संगठनों से जुड़े व्यक्तियों और समूहों को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर उन पर कड़े प्रतिबंध लगाने के लिए जिम्मेदार हैं। बड़ी बात यह है कि पाकिस्तान खुद पूरी दुनिया में आतंकवाद का सबसे बड़ी फैक्ट्री है। पाकिस्तान के दर्जनों नागरिकों को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया जा चुका है। ऐसे में आशंका है कि वह यूएनएससी की मेंबरशिप के बड़े मौके का दुरुपयोग पड़ोसियों को धमकाने, खासतौर पर अफगानिस्तान पर काबिज तालिबान पर दबाव बनाने के लिए जरूर करेगा।
फिर बढ़ाएगा भारत की टेंशन?
पाकिस्तान दो वर्ष के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य बना है। इसी साल जुलाई में वह सर्वोच्च शक्ति प्राप्त यूएनएससी की अध्यक्षता भी करेगा। हालांकि उसके पास शक्तियां सीमित ही रहेंगी। बताने की जरूरत नहीं कि इस सीमित अवधि में पाकिस्तान के पास सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों की तरह वीटो पॉवर नहीं होगी। ऐसे में वह किसी प्रस्ताव पर मतदान कर सकता है या फिर उसका विरोध कर सकता है, लेकिन किसी प्रस्ताव को रोक नहीं सकता। ऐसे में भारत को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी। लेकिन, हर बार की तरह पाकिस्तान को इस शक्तिशाली मंच से भारत के खिलाफ गलतबयानी करने और प्रॉपगैंडा फैलाने का मौका जरूर मिल जाएगा।
दुनिया भर में तनाव के बीच पाकिस्तान को मिली कमान
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान को सुरक्षा परिषद की सदस्यता तब मिली है, जब गाजा, सीरिया, यूक्रेन युद्ध की आग से जल रहे हैं। वहीं, दुनिया के कई हिस्सों में व्यापक तनाव व्याप्त है। पाकिस्तान इस मंच से न केवल फिलिस्तीनियों के अधिकारों का समर्थन करेगा, बल्कि कश्मीर पर भारत को भी घेरने की कोशिश करेगा। यूएन में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने गाजा में मानवीय संकट के सम्मानजनक समाधान पर खास जोर देते हुए संकटग्रस्त क्षेत्र में युद्ध विराम या कम से कम बेरोकटोक मानवीय पहुंच सुनिश्चित कराने और असैन्य हताहतों की तत्काल मदद का भी आह्वान किया है।
कश्मीर मुद्दे पर फिर करेगा दुनिया को बरगलाने की कोशिश?
राजदूत मुनीर अकरम ने फिलिस्तीन के द्वि-राष्ट्र समाधान के लिए इस्लामाबाद की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए “परिषद के भीतर विभाजन पर काबू पाने की चुनौती” को स्वीकार किया। माना कि वीटो शक्तियां अक्सर आम सहमति को पटरी से उतार देती हैं। राजदूत मुनीर अकरम ने साफ कहा, “हम कश्मीरियों की दुर्दशा को उजागर करना जारी रखेंगे और अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर भारत के खिलाफ ठोस कदम उठाने के लिए दबाव डालेंगे।”