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व्यंग्यात्मक टिप्पणी
एफएनएन, रुद्रपुर : मेयर बनने के सपने संजोये नेता जी अपनी सोसाइटी के भी कर्जदार हैं। उन्होंने तकरीबन सबा लाख का बिजली बिल नहीं भरा है। कई नोटिस भी उन्हें जारी हो चुके हैं लेकिन नेताजी तो नेताजी हैं, भला कौन क्या कर लेगा। लेकिन एक बात तो है, किनारा करने में नेताजी माहिर हैं, अब बात कारोबार की हो या किसी पर ‘ अत्याचार ‘ की। आशंका तो इस बात की है कि कहीं नेता जी यह न कह दें कि बिल पर उनका नाम ही नहीं है।
उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद उत्तराखंड का अपेक्षित विकास तो नहीं हुआ पर नेताओं की जरूर बाढ़ सी आ गई। कुछ तो नकली जाति प्रमाण पत्र पर ही दावेदारी ठोंकने लगे। इनके यही प्रमाण पत्र चुनाव में उनके लिए मुसीबत भी बनने वाले हैं। खैर, जो हो हाईकोर्ट खुद ही सही या गलत का फैसला करेगा। लेकिन नेता जी हैं बहुत समझदार, कोई भी फंसने वाला काम अपने नाम नहीं करते। परिवार वालों को तुरंत आगे कर देते हैं, बात खनन की हो या फिर फैक्ट्री की।
स्टोन क्रशर में भी पत्ती है पर खुद को बचाकर। एक स्टोन क्रशर तो अवैध माइनिंग में सीज पड़ा है। चेक बाउंस का उनका मामला भी सुर्खियों में है। यहाँ तक कि उन्होंने जहां अपने कार्यालय बनाया है वहां मलवे का पैसा भी सरकारी खाते में जमा नहीं किया है। सत्ताधारी पार्टी के नेता हैं तो अकड़ भी जाट वाली है। मीडिया का भी मुंह बंद कराने की हिम्मत रखते हैं। लोगों से मीडिया वालों को धमकवाते भी हैं। खैर यह राजनीति है, खिलाती है तो सबक भी जरूर सिखाती है। आप वार करते रहो, हम डटकर मुकाबला करेंगे।