Sunday, July 13, 2025
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पवित्र सरयू और रामगंगा नदी के पवित्र संगम पर कल होगा महागंगा आरती का आयोजन, संगम में प्रवाहित होंगे 1100 दीये

सारांश

पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से 36 किलोमीटर दूर रामेश्वर घाट सरयू और रामगंगा नदी का संगम स्थल है। सरयू नदी का उद्गम बागेश्वर जनपद में और रामगंगा का उद्गम पिथौरागढ़ जनपद में होता है। दोनों नदियां पिथौरागढ़ अल्मोड़ा और चंपावत जनपद की सीमा पर स्थित रामेश्वर में मिलती हैं। यहां से पंचेश्चर में काली नदी में समाहित होने तक इसे सरयू नाम से ही जाना जाता है।

विस्तार

एफएनएन, पिथौरागढ़ : हिमालय से निकलने वाली पवित्र सरयू और रामगंगा नदी के पवित्र संगम पर कल तुलसी एकादशी पर पहली बार महागंगा आरती का आयोजन होगा। पिथौरागढ़, चंपावत और अल्मोड़ा जनपदों के श्रद्धालु इस आयोजन में जुटेंगे।

पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से 36 किलोमीटर दूर रामेश्वर घाट सरयू और रामगंगा नदी का संगम स्थल है। सरयू नदी का उद्गम बागेश्वर जनपद में और रामगंगा का उद्गम पिथौरागढ़ जनपद में होता है। दोनों नदियां पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और चंपावत जनपद की सीमा पर स्थित रामेश्वर में मिलती हैं। यहां से पंचेश्चर में काली नदी में समाहित होने तक इसे सरयू नाम से ही जाना जाता है। इसके बाद नदी शारदा के रूप में पहचानी जाती है।

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संगम स्थल रामेश्वर का पौराणिक महत्व है। तीनों जिलों के लोग इसे मानस खंड माला परियोजना में शामिल किये जाने की मांग उठा रहे हैं। ग्रामीण संघर्ष समिति गुरना ने इस वर्ष 23 जून को तुलसी एकादशी पर रामेश्वर में महागंगा आरती आयोजन का निर्णय लिया है।

1100 दीये किए जाएंगे संगम में प्रवाहित

समिति के अध्यक्ष राजेंद भट्ट ने बताया कि मंदिर कमेटी के सहयोग से आयोजित किये जाने वाले इस कार्यक्रम में सायं पांच बजे तीनों जनपदों के लोग 1100 दीये जलायेंगे। जिन्हें संगम में प्रवाहित किया जायेगा। इस दौरान मंदिर में भजन संध्या का भी आयोजन होगा। उन्होंने श्रद्धालुओं से बढ़चढ़ कर कार्यक्रम में भागीदारी की अपील की है।

स्कंद पुराण में है रामेश्वर का उल्लेख

रामेश्वर धाम उत्तराखंड के प्रसिद्ध धामों में से एक है। इसका महत्व स्कंद पुराण में उल्लेखित है। उत्तरायणी पर्व पर यहां मेले का आयोजन होता है। बड़ी संख्या में लोग यहां यज्ञोपवित के लिए पहुंचते हैं। वर्ष भर आयोजित होने वाले पर्वों पर लोग यहां स्नान के बाद मंदिरों में पूजा अर्चना के लिए जाते हैं। बेहद खूबसूरत इस धाम में धार्मिक पर्यटन की अपार संभावनायें हैं।

रामेश्वर की खूबसूरती अब डिस्कवरी पर होगी प्रसारित

रामेश्वर धाम का धार्मिक रूप में जितना महत्व है, उतना ही यह क्षेत्र नैसर्गिक रूप से भी प्रसिद्ध है। क्षेत्र की जलवायु का महत्व इसी से पता चलता है कि हर वर्ष दिसंबर माह में यहां साइबेरियन पक्षी पहुंचते हैं, जो मार्च में तापमान बढ़ने के बाद ही अपने देश को वापस लौटते हैं। सरयू नदी में महाशीर की मौजूदगी यहां के मजबूत जल जीवन की गवाही देती है।

क्षेत्र की विशेषता को दुनिया भर में पहुंचाने के लिए पिछले दिनों डिस्कवरी चैनल की टीम रामेश्वर पहुंची। तीन दिनों तक शूटिंग के बाद टीम वापस लौट गई है। डिस्कवरी की टीम इससे पूर्व पंचेश्वर क्षेत्र के जल जीवन का प्रसारण भी दुनिया भर में कर चुकी है।

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