एफएनएन, देहरादून : कांग्रेस हाईकमान ने कई राज्यों के प्रभारी बदल दिए। बदलाव के इस झोंके में उत्तराखंड कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव की भी विदाई हो गई। उनकी जगह प्रभारी की जिम्मेदारी पूर्व केंद्रीय मंत्री रहीं कुमारी शैलजा को दी गई। शैलजा वर्ष 2017 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बतौर स्क्रीनिंग कमेटी में शामिल रहीं। उत्तराखंड कांग्रेस में प्रभारी रहते देवेंद्र यादव क्षत्रपों की जिस गुटबाजी पर लगाम लगाने में नाकाम रहे, शैलजा के सामने सबको एकजुट करना पहली चुनौती होगा।
वर्ष 2024 के आम चुनाव से पहले किए गए इस महत्वपूर्ण बदलाव के उत्तराखंड कांग्रेस के लिए खास मायने हैं। वैसे तो कहा जा रहा है कि उत्तराखंड में प्रभारी की कमान संभाल रहे देवेंद यादव को प्रमोशन देकर बड़े राज्य पंजाब भेजा गया है, लेकिन जिस तरह से उनके पूरे कार्यकाल में उत्तराखंड कांग्रेस खेमों में बंटी नजर आई और वह क्षत्रपों को साथ लाने में नाकाम रहे, उनकी विदाई को इससे भी जोड़कर देखा जा रहा है।
देवेंद्र के कार्यकाल में विस चुनाव में कांग्रेस 11 से 19 सीटों पर जरूर पहुंची, लेकिन हवा का रुख कांग्रेस की ओर होने के बावजूद वह जीत के जादुई आंकड़े तक पार्टी को नहीं पहुंचा पाए। विस चुनाव की हार के बाद चंपावत और बागेश्वर उपचुनाव में भी वह कोई करिश्मा नहीं दिखा पाए। प्रभारी होने के बावजूद वह कई अहम मौकों पर उत्तराखंड से दूर ही रहे। प्रभार वाले राज्य में उनकी अनदेखी को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच अकसर सवाल उठते रहे हैं।
पार्टी के कार्यकर्ताओं सहित कई बड़े नेताओं ने बतौर प्रभारी देवेंद्र यादव के कामकाज के तरीकों पर सवाल उठाए। विस चुनाव की हार के बाद खुले तौर पर उनका इस्तीफा तक मांगा गया। अब शैलजा को जिम्मेदारी दी गई है। शैलजा को गांधी परिवार का नजदीकी माना जाता है। वह एक सुलझी हुई नेता हैं और युवाओं को राजनीति में तरजीह देती हैं। उत्तराखंड कांग्रेस में गुटबाजी को तोड़कर दिग्गजों को एक मंच पर लाना उनके लिए भी चुनौती रहेगा। इसके बाद लोस चुनाव सिर पर खड़ा है। जहां उनकी पहली परीक्षा होगी।
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यूपीए सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुकी हैं शैलजा