
एफएनएन, रुद्रप्रयाग: गौरीकुंड के निकट भूस्खलन से क्षतिग्रस्त हुआ केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग अभी तक पूरी तरह नहीं खुल पाया है. ऐसे में बीते दिन से मार्ग खुलने का इंतजार कर रहे हजारों तीर्थ यात्रियों को सुरक्षा जवानों की निगरानी में धाम के लिए भेजा गया. इस स्थान पर घोड़े खच्चर सहित डंडी-कंडी का संचालन भी नहीं हो पा रहा है. ऐसी स्थिति में तीर्थ यात्रियों को पैदल ही धाम के लिए रवाना होना पड़ रहा है.
दरअसल, शुक्रवार देर रात केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर गौरीकुंड के निकट पहाड़ी टूटने से यात्रा मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसके बाद यात्रा मार्ग खोलने के प्रयास तो किए गए, लेकिन मौसम के साथ ना देने से यात्रा मार्ग नहीं खुल पाया. कल दिन भर यात्रियों को धाम नहीं भेजा गया, जबकि धाम से नीचे उतरे यात्रियों को एसडीआरएफ की ओर से रेस्क्यू किया गया. आज भी पैदल यात्रा मार्ग पूर्ण रूप से नहीं खुल पाया है.
ऐसे में बीते दिन से यात्रा खुलने का इंतजार कर रहे हजारों यात्रियों को सुरक्षा जवानों की निगरानी में धाम के लिए रवाना किया गया. पैदल यात्रा मार्ग को खोलने के प्रयास लगातार जारी है. भूस्खलन से प्रभावित स्थान बेहद खतरनाक बना हुआ है. पुलिस अधीक्षक अक्षय प्रह्लाद कोंडे ने कहा कि गौरीकुंड के समीप बाधित चल रहा पैदल मार्ग पूरी तरह से नहीं खुल पाया है. फिर भी कल से गौरीकुंड और सोनप्रयाग क्षेत्रान्तर्गत रुके यात्रियों को आज सुबह से ही पुलिस कार्मिकों की उपस्थिति में केदारनाथ धाम के लिए भेजा जा रहा है. यात्रियों के जाने के उपरान्त मार्ग को चौड़ीकरण किए जाने का कार्य किया जा रहा है.
लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण केदारनाथ यात्रा पर बुरा असर देखने को मिल रहा है. बारिश के कारण गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो रहा है. बीते दिन गौरीकुंड के पास पहाड़ी दरकने से मार्ग पर बड़े-बड़े बोल्डर आ गए, जिसके बाद यात्रा पर ब्रेक लग गया. यात्रा पर ब्रेक लगने से तीर्थयात्रियों को सोनप्रयाग, गौरीकुंड, सीतापुर समेत अन्य जगहों पर रोका गया, जिसके बाद पैदल मार्ग पर बोल्डर हटाने का कार्य किया गया. बोल्डर हटाने में लोनिवि के मजदूरों को भारी दिक्कतें हो रही हैं.
गौरीकुंड-केदारनाथ 19 किमी पैदल मार्ग के जगह-जगह गदेरे उफान में आए हुए हैं, जिस कारण तीर्थ यात्रियों को परेशानी हो रही है. शनिवार दिन भर यात्रियों को धाम नहीं भेजा गया, जबकि धाम से नीचे उतरे यात्रियों को एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और पुलिस की सुरक्षा में रेस्क्यू किया गया. करीब ढाई हजार से ज्यादा तीर्थ यात्रियों को सुरक्षित तरीके से निकाला गया.

