एफएनएन, चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने आधुनिक दवा निर्माताओं को चेतावनी दी है कि वे जोखिम भरे विलायकों का इस्तेमाल न करें. स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार ने इस संबंध में सभी दवा निर्माण इकाइयों को एडवाइजरी जारी कर दी है. उन्होंने बताया कि सरकार लगातार औषधि इकाइयों का निरीक्षण कर रही है और निर्धारित मानकों में कमी पाए जाने पर कंपनियों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं.
जोखिम भरे सॉल्वैंट्स पर नजर: राव चंडीगढ़ से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के साथ वर्चुअल बैठक कर रही थीं, जिसमें उन्होंने राज्य सरकार की स्वास्थ्य पहलों की जानकारी दी. मंत्री आरती राव ने बताया कि, ” सभी एलोपैथिक दवा निर्माताओं को प्रोपिलीन ग्लाइकॉल, ग्लाइकॉल और ग्लिसरीन जैसे विलायकों की खरीद, भंडारण और उपयोग में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं. राज्य सरकार ने इन सॉल्वैंट्स के सत्यापन के लिए निरीक्षण अभियान शुरू कर दिया है. अब तक 37 निरीक्षण किए गए हैं और 54 नमूने परीक्षण के लिए भेजे गए हैं.”
संयुक्त जांच में भी तेजी: राज्य ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के साथ संयुक्त निरीक्षण भी शुरू कर दिए हैं. अब तक 14 संयुक्त निरीक्षण पूरे हो चुके हैं और 31 नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं. जिन कंपनियों में गड़बड़ियां पाई गईं, उन्हें नोटिस जारी किए गए हैं. इसके अलावा राज्य की बिक्री इकाइयों से 267 सॉल्वैंट्स नमूने भी एकत्र कर प्रयोगशाला में भेजे गए हैं.
दवा निर्माण पर सख्त कार्रवाई: आरती राव ने आगे बताया कि, “अब तक 33 जोखिम निरीक्षण किए गए हैं, जिनमें 12 कंपनियों का उत्पादन बंद कराया गया और दो कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं. इसी तरह औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं के 17 जोखिम निरीक्षण किए गए हैं, जिनमें एक प्रयोगशाला का लाइसेंस निरस्त किया गया है.”
ऑनलाइन प्रणाली से पारदर्शिता: आरती सिंह राव ने आगे बताया कि, “राज्य का स्वास्थ्य विभाग पहले से ही ऑनलाइन नेशनल ड्रग लाइसेंसिंग सिस्टम (ONDLS) पर काम कर रहा है. अब सभी विनिर्माण और बिक्री से संबंधित लाइसेंस इसी पोर्टल के माध्यम से जारी किए जा रहे हैं, जिससे प्रक्रिया पारदर्शी और तेज हो गई है.”





