एफएनएन, देहरादून: उत्तराखंड में जल स्रोत से लेकर राज्य की सीमा तक सभी नदियों का मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा। मुख्य सचिव डॉ एसएस संधु ने बुधवार को सचिवालय में वर्षा जल संग्रहण से जुड़े विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक में इसके निर्देश दिए।
उन्होंने राज्य की जल संरक्षण योजना तैयार करने को भी कहा, जिसके आधार पर चरणबद्ध तरीके से कार्य किया जाएगा। मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य में वर्षाकाल में अत्यधिक वर्षा होती है, लेकिन बाकी समय पानी की समस्या रहती है।
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चेकडैम के माध्यम से किया जा सकता है जल संरक्षण
वर्षा जल को चेकडैम आदि के माध्यम से रोककर जल संरक्षण किया जा सकता है, जिससे वर्षभर पानी की उपलब्धता बनी रहेगी।
राज्य में बनने वाली रिवर एंड स्प्रिंग रिज्यूविनेशन अथारिटी अथवा एजेंसी के उद्देश्यों में भी चेकडैम को अधिक से अधिक संख्या में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में पानी की किल्लत दूर करने में वन क्षेत्रों में वर्षा जल संरक्षण की मुहिम महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इससे प्रदेश के अधिकतम भूभाग के जलस्रोत रीचार्ज होंगे।
उन्होंने वर्षा जल संरक्षण की योजनाओं के मूल्यांकन को मैकेनिज्म तैयार करने और अनुश्रवण के लिए डैशबोर्ड बनाने को भी कहा। बैठक में अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु, सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी, जलागम प्रबंधन से नीना ग्रेवाल समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।