एफएनएन, नई दिल्ली: दिल्ली विद्युत बोर्ड के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अब कैशलेस स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध होगी। दिल्ली की ऊर्जा मंत्री आतिशी ने इसकी घोषणा की। शुक्रवार को इससे संबंधित फाइल पर उन्होंने हस्ताक्षर किया है और मंगलवार तक इससे संबंधित अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। इससे सेवानिवृत्त कर्मचारियों को स्वास्थ्य बिल के भुगतान के लिए कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
साल 2002 में दिल्ली विद्युत बोर्ड को किया था भंग
प्रेसवार्ता में उन्होंने कहा, वर्ष 2002 में दिल्ली विद्युत बोर्ड को भंग किया था। उस समय यह तय हुआ था कि बोर्ड में काम करने वाले सभी कर्मचारियो को सुविधा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की होगी। किसी कारणवश बोर्ड से सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। उन्हें समय पर पेंशन नहीं मिलती थी। वर्ष 2015 में अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनने के बाद सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन की समस्या हल की गई।
उन्होंने कहा, विद्युत बोर्ड के सेवानिवृत्त कर्मचारियों कैशलेस उपचार की सुविधा नहीं मिलने के कारण स्वास्थ्य बिल के भुगतान के लिए एक से दूसरे कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते थे जिससे उन्हें परेशानी होती थी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर ऊर्जा विभाग ने दिल्ली विद्युत बोर्ड के सभी 20 हजार सेवानिवृत्त कर्मचारियों को कैशलेस स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।
अधिसूचना जारी होने के साथ ही यह सुविधा उन्हें मिलने लगेगी। वर्ष 2002 से पहले सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को डीटीएल यह सुविधा कराएगी। उसके बाद सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को कैशलेस स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी बिजली उत्पादन कंपनी, पारेषण कंपनी व डिस्काम की होगी। इन कंपनियों के पैनल में शामिल अस्पतालों में सेवानिवृत्त कर्मचारियों को उपचार हो सकेगा।
जुलाई, 2002 में दिल्ली विद्युत बोर्ड भंग कर छह कंपनी बनाई गई
दिल्ली में बिजली उत्पादन व वितरण की जिम्मेदारी पहले दिल्ली विद्युत बोर्ड के पास था। 1 जुलाई, 2002 को दिल्ली विद्युत बोर्ड छह भागों में विभाजित हो गया। बिजी उत्पादन के लिए दो कंपनी इंद्रप्रस्थ पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड (आइपीजीसीएल) व प्रगति पावर कारपोरेशन लिमिटेड (पीपीजीसीएल) बनाई गई।
बिजली पारेषण के लिए दिल्ली ट्रांसको लिमिटेड नाम (TPDDL) से कंपनी बनाई गई। आइपीजीसीएल, पीपीजीसीएल और डीटीएल दिल्ली सरकार की है। बिजली वितरण की जिम्मेदारी बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड (बीआरपीएल), बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड (बीवाईपीएल) और टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीएल) के पास है। इन तीनों बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काम) में सरकार की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है।