कंचन वर्मा, रुद्रपुर : अपनी बर्बादी का कारण खुद कांग्रेसी ही बन रहे हैं। इनकी राजनीति मंच पर अपना चेहरा दिखाने और फोटो खिंचवाने तक सीमित रह गई है। संगठन से उनका सरोकार न तो पहले था और न ही अब है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर कांग्रेस कैसे सरवाइव करेगी ? कैसे नगर निकाय चुनाव और फिर लोकसभा में अपना प्रदर्शन दिखा पाएगी ? अफसोसजनक यह भी कि न तो इससे संगठन के स्थानीय जिम्मेदार लोगों का कोई लेना देना है और न ही शीर्ष नेतृत्व का।
उत्तराखंड में कांग्रेस हाशिए पर है। लोकसभा, विधानसभा और नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन सवालों में रहा है। इसकी एक बड़ी वजह खुद कांग्रेसी ही हैं। चुनाव से पहले ही यह अपनी हार स्वीकार कर लेते हैं, इसीलिए कार्यकर्ता भी जोर आजमाइश नहीं कर पाते। संगठन में बिखराव का नमूना आए दिन पार्टी के कार्यक्रमों में दिखाई पड़ता है। सभी अपनी ढफली, अपना राग अलाप रहे हैं।
सक्रिय नेता सुशील गाबा की भाजपा में ज्वाइनिंग पार्टी पर एक बड़ा सवालिया निशान है। सुशील ने क्यों पार्टी छोड़ी और इसके लिए जिम्मेदार कौन है, यह जांच का विषय है। लेकिन जांच कराए तो कौन, खेमे में बंटे जिम्मेदार लोगो को भी इससे क्या लेना देना। सुशील गाबा ने बाकायदा प्रदेश अध्यक्ष को संबोधित पत्र लिखकर पार्टी छोड़ी, ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि उन्हें मनाने की कोशिश क्यों नहीं की गईं। क्यों इस सक्रिय पदाधिकारी को पार्टी ने खोने दिया ? क्यों बार-बार उसे पार्टी में नीचा दिखाने का काम किया गया ?
हमने जब इस संबंध में महानगर अध्यक्ष जगदीश तनेजा से बात की तो उनका कहना था कि उन्होंने सुशील को बहुत समझाया, कई-कई घंटे उनके पास बैठे हैं लेकिन वो नहीं माने। उन्होंने तय कर रखा था कि भाजपा में जाना ही है। ऐसे में बात उठना लाजमी है कि यह स्थिति बनी ही क्यों। ऐसा भी नहीं है कि सुशील के भाजपा ज्वाइन करने के साथ ही पार्टी उन्हें सर आंखों पर बैठा लेगी या फिर उन्हें जाते ही कोई बड़ा दायित्व मिलने वाला है ?कुल मिलाकर कांग्रेसियों को आत्ममंथन करने की जरूरत है, क्योंकि अगर इसी रवैया से स्थानीय स्तर पर पार्टी चलती रही तो निश्चित तौर पर कहेंगे कि खुद ही कांग्रेसी अपनी पार्टी का बंटाधार करने पर लगे हुए हैं।
- बीमार होने के बावजूद तिलकराज बेहड़ ने पूछी सुशील के जाने की वजह
रुद्रपुर : दिल्ली में किडनी ट्रांसप्लांट के बाद डॉक्टर की सलाह पर आराम कर रहे पूर्व मंत्री और किच्छा से विधायक तिलक राज बेहड़ में सुशील गाबा के भाजपा में जाने की टीस दिखाई दी। उन्होंने फोन पर महानगर अध्यक्ष जगदीश तनेजा से पूछा कि आखिर सुशील भाजपा में क्यों चले गए ? उन्हें मनाने की कोशिश क्यों नहीं की गई ?उन्हें समझाया क्यों नहीं गया ? तिलक राज बेहड़ ने यह भी कहा कि अगर युवा और सक्रिय कार्यकर्ता ही पार्टी में नहीं रहेंगे तो कैसे चलेगा। बेहड़ का पार्टी के प्रति बीमार होने के बाद भी यह समर्पण उन स्थानीय नेताओं के लिए बड़ी नसीहत है जिनकी राजनीति सीमित है तो सिर्फ कैमरे तक।