एफएनएन, रुद्रपुर : स्टे के वाबजूद पंचवटी विला में पार्टनर पिता-पुत्र द्वारा परिवार के बीच भूमि के दाननामें पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इस मामले में दाखिल खारिज रोकने के लिए आपत्ति दाखिल की गई है। माना जा रहा है कि आपत्ति पर सुनवाई के बिना दाननामे में दी गई भूमि का दाखिल खारिज संभव नहीं।
आपको बता दें कि वर्ष 2015 में काशीपुर हाइवे से सटी मनिहार खेड़ा रोड पर कीरतपुर कोल्डा गांव में 5 एकड़ भूमि पर पंचवटी विला नाम से कॉलोनी काटी गई थी। उसके बाद रेरा लागू हो गया। इस कालोनी का रेरा में पंजीकरण 2017 में हुआ, जिसका नवीनीकरण 22 अक्टूबर 2021 में होना था, लेकिन पंजीकरण का नवीनीकरण नहीं हुआ। बावजूद इसके लगातार प्रोजेक्ट में बिला का निर्माण और भूखंडों की रजिस्ट्री कराई जा रहीं हैं।
जबकि नियमानुसार रजिस्ट्री नहीं कराई जा सकती। इसमें रजिस्ट्री दफ्तर की मिलीभगत बताई जा रही है। बताया जा रहा है रजिस्ट्री के दौरान पुराने रेरा नंबर को अंकित किया गया, जबकि पंजीकरण का नवीनीकरण नही था। बाद में कुछ रजिस्ट्रियों में झूठा शपथ पत्र दिया गया, प्रोजेक्ट के रेरा में रजिस्टर्ड नहीं होने की बात कही गई।
बताया जा रहा है कि पंचवटी विला को लेकर साझेदारों के बीच विवाद चल रहा है, जो अब उच्च न्यायालय में भी लंबित है। बावजूद रेरा और उच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन करते हुए प्रोजेक्ट में खुलेआम खरीद फरोख्त की जा रही है और निर्माण कार्य भी चल रहा है।
सूत्रों का कहना है कि कोर्ट से यथास्थिति का आदेश दूसरा पक्ष हासिल न कर ले, इस आशंका के चलते बिल्डर सुधीर चावला और सुरेंद्र कुमार चावला ने शपथ पत्र देते हुए अपने-अपने हिस्से की सारी रजिस्ट्री का दाननामा अपनी पत्नी आकांक्षा चावला और बलजीत रानी के नाम कर दिया गया।
सुधीर कुमार चावला ने 2098.03 वर्ग मीटर अपनी पत्नी आकांक्षा चावला के नाम जबकि सुरेंद्र कुमार चावला द्वारा अपनी पत्नी बलजीत रानी के नाम 1171 वर्ग मीटर भूमि दान में दिखा दी गई। इसका खुलासा होने पर इस जमीन का दाखिल खारिज रोकने के लिए तहसील कार्यालय में आपत्ति लगा दी गई है। अब दाननामे के खेल पर ग्रहण लग सकता है, क्योंकि आपत्ति के निस्तारण से पहले जमीन का दाखिल खारिज संबंधितों के नाम होना संभब नहीं है।