एफएनएन, दिल्ली : आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले के सबसे बड़े मामले यानि डोरंडा ट्रेजरी से की गई सबसे बड़ी अवैध निकासी में दोषी करार दिए गए। रांची की सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। साथ ही उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। फिलहाल कोर्ट ने सजा का ऐलान नहीं किया है। आपको बता दें कि इस सबसे बड़े मामले में रांची के डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ की अवैध निकासी हुई थी। मामले में शुरुआत में 170 आरोपी थे, इसमें से 55 आरोपियों की मौत हो गई।
दीपेश चांडक और आरके दास समेत सात आरोपियों को सीबीआई ने गवाह बनाया। सुशील झा और पीके जायसवाल ने निर्णय से पहले ही दोष स्वीकार कर लिया। मामले में छह आरोपी फरार है। इस हाईप्रोफाइल मामले में लालू यादव के अलावा पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, डॉक्टर आरके राणा, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत, तत्कालीन पशुपालन सचिव बेक जूलियस, पशुपालन विभाग के सहायक निदेशक डॉक्टर के एम प्रसाद सहित 99 आरोपियों के खिलाफ आज फैसला आया। मामले में सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से 575 गवाहों की गवाही दर्ज कराई गई। बचाव पक्ष की ओर से 25 गवाह पेश किए गए हैं। लालू यादव के अलावा आरके राणा, जगदीश शर्मा, ध्रुव भागत को भी सीबीआइ कोर्ट ने दोषी पाया है। लालू के करीबी नेता जगदीश शर्मा और ध्रुव भगत को तीन-तीन साल की सजा सुनाई है। फिलहाल कोर्ट ने लालू यादव को सजा का ऐलान नहीं किया है। बाकी 24 लोगों को साक्ष्य जे आभाव में बरी कर दिया गया है।
झारखंड में जिन पाँच मामलों में लालू यादव आरोपी बनाए गए हैं, उनमें ये एकमात्र मामला है जिसमें फ़ैसला आना बाक़ी था। बाकी चार मामलों में कोर्ट पहले ही लालू यादव को दोषी करार देते हुए सजा का ऐलान कर चुका है। चाईबासा कोषागार के दो अलग-अलग मामलों में लालू यादव को सात-सात साल की सजा हो चुकी है, जबकि दुमका कोषागार से अवैध निकासी के मामले में पाँच साल और देवघर कोषागार से अवैध निकासी के मामले में चार-चार वर्ष की सजा सुनायी गई है। चारों मामलों में लालू यादव ने जेल काटते हुए सजा का पचास प्रतिशत हिस्सा पूरा कर लिया है।