Wednesday, August 6, 2025
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आयुष नीति को कैबिनेट की मंजूरी, फार्मेसी उद्योगों को मिलेगी 10 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी

एफएनएन, देहरादून : राज्य में दिसंबर माह में होने जा रहे वैश्विक निवेशक सम्मेलन से पहले प्रदेश सरकार ने पहली आयुष नीति को हरी झंडी दे दी है। इस नीति में आयुष फार्मेसी उद्योगों को एमएसएमई नीति में मिलने वाली सब्सिडी के अलावा 10 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी दी जाएगी। इसके साथ ही आयुष हेल्थ वेलनेस केंद्रों में पूंजी निवेश पर 5 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया।

राज्य में आयुष क्षेत्र में निवेश की संभावना को देखते हुए सरकार ने नई नीति को मंजूरी दी है। जिसमें प्रदेश में जड़ी-बूटी, सगंध पौधों की खेती को बढ़ावा देकर उत्पादन बढ़ाने, राज्य में नये आयुष फार्मा उद्योगों को प्रोत्साहित करने के साथ ही आयुष शिक्षा की गुणवत्ता के साथ शोध व अनुसंधान को प्रोत्साहित किया जाएगा।

राज्य में आयुष फार्मेसी विनिर्माण उद्योगों को एमएसएमई नीति का लाभ तो मिलेगा ही। साथ ही भवन, संयंत्र व मशीनरी लगाने के लिए 10 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी दी जाएगी। इसके अलावा डब्ल्यूएचओ जीएमपी प्रमाणन पर आने वाले खर्च की उद्योगों को प्रतिपूर्ति की जाएगी। इससे आयुर्वेद दवाइयों का निर्यात बढ़ेगा। आयुष विनिर्माण इकाइयों को उनके उत्पादों के लिए आयुष स्टैंडर्ड मार्क प्राप्त करना अनिवार्य होगा। राज्य होम्योपैथिक दवाओं की गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए एक विशिष्ट होम्योपैथिक औषधि परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की जाएगी।

  • आयुर्वेद कॉलेजों को नैक ग्रेडिंग के लिए प्रोत्साहन राशि

नीति में आयुर्वेद कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए नैक ग्रेडिंग प्राप्त करने पर प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया है। जिसमें ए डबल प्लस ग्रेडिंग कॉलेज को 15 लाख, ए प्लस को 10 लाख, ए ग्रेडिंग को 5 लाख, बी डबल प्लस को 2.5 लाख रुपये की राशि दी जाएसगी। नेशनल एग्रीडेशन बोर्ड फॉर हास्पिटल एंड हेल्थ केयर (एनएबीएच) की मान्यता पर आने वाले खर्च की कॉलेजों को प्रतिपूर्ति की जाएगी।

  • सरकारी आयुर्वेद कॉलेजों में शुरू होगा इंटर्नशिप कार्यक्रम

प्रदेश में संचालित आयुर्वेद कॉलेजों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं का इंटर्नशिप कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। इसके लिए आयुर्वेद विनिर्माण उद्योगों के साथ अनुबंध किया जाएगा। ऋषिकुल तथा गुरुकुल कॉलेजों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय नैदानिक अध्ययन और आधुनिक व पारंपरिक आयुष दवाओं के एकीकरण पर अनुसंधान किया जाएगा।

  • नीति में पांच क्षेत्रों का किया वर्गीकरण
राज्य में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए नीति में पांच क्षेत्रों का वर्गीकरण किया गया। जिसमें जड़ी-बूटी की व्यावसायिक खेती, आयुष फार्मा विनिर्माण, स्वास्थ्य सेवाएं, वेलनेस, शिक्षा व अनुसंधान पर विशेष फोकस किया गया। उत्तराखंड की कई प्राकृतिक व सांस्कृतिक विरासत हैं जो इसे आयुष प्रदेश के रूप में स्थापित होने के लिए एक आदर्श स्थान बनाती हैं। इसमें दुर्लभ जड़ी-बूटियों, आयुष चिकित्सा के लिए अनुकूल स्थलों व वातावरण की उपलब्धता है।
  • वर्तमान में जड़ी-बूटी की खेती से 30 करोड़ कर राजस्व

राज्य में औषधीय और एरोमा पौधों की खेती से लगभग 30 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है। राज्य में 900 हेक्टेयर क्षेत्र में 2500 मीट्रिक टन उत्पादन होता है। नीति में मुख्यमंत्री औषधीय पादप विकास कार्यक्रम शुरू करने की योजना है। इस योजना से 50 हजार किसानों को जड़ी बूटी खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। हर्बल रिसर्च एवं डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (एचआरडीआई) गोपेश्वर व सेंटर फॉर एरोमैटिक प्लांट्स सेलाकुई (कैप) के माध्यम से खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।

  • राज्य की जीडीपी में आयुष क्षेत्र का बड़ा योगदान
राज्य की जीडीपी में आयुष विनिर्माण क्षेत्र का लगभग 4 से 5 हजार करोड़ रुपये का योगदान अनुमानित है। यह क्षेत्र राज्य में लगभग 20-25 हजार लोगाें को रोजगार देता है। वर्तमान में प्रदेश में 232 आयुर्वेद, 8 होम्योपैथी व 2 यूनानी फार्मा उद्योग स्थापित हैं।
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