Friday, August 8, 2025
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ब्लैक फंगस : दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से दवा की उत्पादन क्षमता और स्टॉक का ब्योरा मांगा

एफएनएन, नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना के मरीजों में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है. हाई कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमाइकोसिस की दवा को लेकर हलफनामा दाखिल करने को कहा है. अदालत ने दवा की वर्तमान उत्पादन क्षमता, मौजूदा स्टॉक, कंपनियों के लाइसेंस और वर्तमान क्षमता के बारे में सवाल किए हैं. दवा (Amphotericin B) बढ़ी हुई क्षमता को लेकर भी सवाल पूछा है. केंद्र सरकार से देश भर में ब्लैक फंगस की दवा की उपलब्धता के लिए दवाओं के आयात के लिए उठाए गए कदमों की भी जानकारी मांगी है.दिल्ली हाई कोर्ट इस मामले में अब 25 मई को सुनवाई करेगा.

हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि हम चाहते हैं कि केंद्र इन सभी आंकड़ों के हिसाब से एक हलफनामा दाखिल करे. केंद्र सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि वह सभी चरणों का विवरण देते हुए एक हलफनामा दाखिल करेंगे. साथ ही केंद्र सरकार कीमत निर्धारण के लिए भी एक फार्मूला तय करेगा.

हाईकोर्ट ने दोहराया कि दवा की मांग और आपूर्ति के अंतर को पाटने की जरूरत है. हाईकोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या केंद्र आपातकालीन स्थिति में आयात कर सकता है. हम यह नहीं कह रहे कि केंद्र दिल्ली के साथ अन्याय कर रहा है, लेकिन मुद्दा समय और मानव जीवन का है. 5 फीसदी आवंटन उद्देश्य की पूर्ति नहीं करता है. अदालत ने केंद्र से कहा, आप यह नहीं कह सकते कि आपके पास 10 के स्थान पर 5 वॉयल हैं.

केंद्र सरकार कहती है कि आवश्यकता 10 हजार की है. आनुपातिक रूप से हम 4 हजार वॉयल दे रहे हैं. लेकिन यह किस मरीज को दी जाएगी, किसको नहीं, इसकी कोई गाइडलाइन होनी चाहिए. केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि कुल 7251 केस सामने आए हैं. इसमें दिल्ली का 19 मई को 197 का आंकड़ा था. दिल्ली में कुल केस अनुपात 3% से थोड़ा कम है. कोर्ट ने कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि केन्द्र सरकार इसे आनुपातिक रूप से लागू कर रही है. लेकिन हमें बताएं कि आप किस तरीके से क्षमता बढ़ा रहे हैं.

केंद्र ने कहा कि हम कई कंपनियों के साथ बातचीत कर रहे हैं. भारत बायोटेक अपनी क्षमता दोगुनी करेगी. इससे पहले दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को.बताया कि ब्लैक फंगस के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. इसके लिए दवाओं के आवंटन की निगरानी भी की जा रही है. सामान्य समय में, सरकार को इस मामले मे दखल नहीं देना चाहिए लेकिन भारी मांग और सीमित आपूर्ति है, इसलिए सरकार को नियंत्रण करना पड़ सकता है. दवाओं की मांगों को लेकर एक समिति का गठन किया गया है. समिति दिन में कई बार बैठक करेगी और मांग पर फैसला करेगी. लेकिन यह सब भी आपूर्ति पर निर्भर करेगा.

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