फ्रंट न्यूज नेटवर्क/Violence in Bangladesh: विश्व की महाशक्तियों में शुमार भारत की घुड़की पर थोड़ी ना-नुकर के बाद आखिरकार बांग्लादेश की प्रो. मोहम्मद यूनुस की अगुआई वाली अंतरिम सरकार ने थोड़ी शुरुआती ना-नुकुुर के बाद कबूल किया है कि अगस्त-अक्तूबर के शुरुआती दो माह के भीतर ही अल्पसंख्यकों और हिंदू समुदाय के विरुद्ध उनके देश में 88 हिंसक घटनाएं हुई हैं।
ज्ञात रहे कि अगस्त 2024 में कट्टरपंथी हिंसक घटनाओं के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजिद को तख्ता पलट और जीवन पर खतरे के डर से रातों-रात भागकर भारत में छुपना पड़ा था। प्रो. मोहम्मद युनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन होने के बाद भी इस पड़ोसी देश में पिछले चार माह से हिंदुओं-अल्पसंख्यक परिवारों और उनके धर्मस्थलों पर कट्टरपंथियों के हमले पर लगातार हमले हो रहे हैं। इस्कॉन से जुड़े बड़े धर्मगुरु राधा कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद भी इस संगठन के मंदिरों में तोड़फोड़-आगजनी की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं।
पानी सिर से गुजरने के बाद बीते सोमवार को भारत ये विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने नई सरकार के गठन के बाद पहली बार बांगलादेश का दौरा कर अंतरिम सरकार के मुखिया/प्रधान सलाहकार प्रो. मोहम्मद युनुस, अपने समकक्ष विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन समेत कुल तीन शीर्षस्थ मीटिंगें कर भारत की चिंताओं से अवगत कराया। शुरुआती ना-नुकर के बाद भारत के सख्त तेवरों से सहमे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अब आखिरकार मान ही लिया है कि पिछले अगस्त माह में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद के सत्ता से बाहर होने के बाद से शुरुआती दो माह के भीतर ही उनके देश में अल्पसंख्यकों, हिंदुओं पर जानलेवा हमलों, उनकी संपत्तियों को लूटने, हत्या, बलात्कार और उनके घर्मस्थलों में तोड़फोड़ और आगजनी की कुल 88 हिंसक घटनाएं हुई हैं।
हालांकि, सोमवार को त्रिस्तरीय वार्ता के बाद भी प्रेस ब्रीफिंग में बांग्लादेश के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने भारत की चिंताओं को खारिज करते हुए हिंदुओं और उनके आस्था केंद्रों पर कथित सरकार समर्थक कट्टरपंथियों द्वारा लगातार किए जा रहे जानलेवा हमलों के इस बड़े मसले को ‘अंदरूनी मामला’ ही करार दिया था।
अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार प्रो. मोहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने मीडिया से मुखातिब होते हुए साफ कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्ता पलट और निर्वासित होने के बाद इस साल पांच अगस्त से 22 अक्टूबर तक हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर हमलों के कुल 88 मामले पुलिस थानों में दर्ज किए गए हैं। इन घटनाओं में 70 आरोपियों की गिरफ्तारियां भी हुई हैं। प्रेस सचिव आलम ने यह भी माना कि पिछली सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य भी इनमें से कुछ मामलों में पीड़ित जरूर रहे हैं। बहरहाल, भारत के विरोध से पहले तक युवुस सरकार यही दावे ठोंकती आ रही थी कि चंद वारदातों को छोड़कर, हिंदुओं या अल्पसंख्यकों पर उनकी आस्था के कारण हमले नहीं हुए हैं। मुख्य सलाहकार के प्रेस यचिव आलम ने कहा कि 22 अक्टूबर 2024 से अब तक की हिंसक घटनाओं का ब्यौरा भी अंतरिम सरकार जल्द ही सार्वजनिक करेगी। आलम ने आगे कहा, “ताजे आंकड़ों के बाद इन हिंसक घटनाओं और आरोपियों की गिरफ्तारियों की तादाद में और भी इजाफा होना तय है क्योंकि पूर्वोत्तर सुनामगंज, मध्य गाजीपुर और मुल्क के कुछ अन्य हिस्सों से भी धार्मिक हिंसा के नए मामले सामने आए हैं।”
इन हमलों ने बांगलादेश में हिन्दुओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन घटनाओं में न सिर्फ हिंदू समुदाय के लोग, बल्कि कई मंदिर भी निशाने पर आए जिससे भारत में भी चिंता की लहर दौड़ गई है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने यह खुलासा उस वक्त किया है जब दो दिन पहले ही भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बांग्लादेशी नेतृत्व के साथ बैठक के दौरान अल्पसंख्यकों पर हमलों की अफसोसजनक घटनाओं को उठाया था और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित भारत की ‘चिंताओं’ और ‘नाराज़गी’ की बाबत बांग्लादेशी नेतृत्व को दो-टूक लहजे में साफ-साफ ‘समझा’ दिया था।