Monday, July 14, 2025
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डोनाल्ड ट्रंप बनाने जा रहे अमेरिका का महाकवच, 175 अरब का होगा सबसे तगड़ा डिफेंस सिस्टम

एफएनएन, वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक महत्वाकांक्षी योजना का ऐलान किया, जिसे उन्होंने ‘गोल्डन डोम’ नाम दिया है. इस योजना का लक्ष्य अमेरिका को मिसाइल हमलों से बचाने के लिए एक मजबूत सुरक्षा कवच तैयार करना है. यह कुछ-कुछ उसी तरह है, जैसा इजरायल के पास आयरन डोम नाम की एयर डिफेंस प्रणाली है. ट्रंप ने ओवल ऑफिस में पत्रकारों से कहा, ‘पूरा होने के बाद गोल्डन डोम दुनिया के किसी भी कोने से या अंतरिक्ष से दागी गई मिसाइलों को रोकने में सक्षम होगा.’

इस योजना के तहत पृथ्वी की कक्षा में हजारों छोटे सैटेलाइट तैनात किए जाएंगे. सैटेलाइटों के इस नेटवर्क से आने वाली मिसाइलों का पता लगाया जा सकेगा. यह उन पर नजर रख सकेगा और लॉन्च होने के तुरंत बाद नष्ट कर सकेगा. ट्रम्प ने कहा कि इस प्रणाली को उनके कार्यकाल के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य है. इसके लिए अगले साल के बजट में 25 अरब डॉलर और कुल मिलाकर 175 अरब डॉलर का खर्च अनुमानित है. ओवल ऑफिस से बोलते हुए, ट्रंप ने कहा कि इस प्रणाली की डिजाइन को अंतिम रूप दे दिया गया है और इसका नेतृत्व वाइस चीफ ऑफ स्पेस ऑपरेशंस जनरल माइकल गुएटलेइन करेंगे.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के मिसाइल डिफेंस प्रोजेक्ट के निदेशक टॉम काराको ने इसे जरूरी कदम बताया. उन्होंने कहा, ‘अंतरिक्ष में होने वाले युद्ध की संभावना को देखते हुए गोल्डन डोम अमेरिका को मजबूत सुरक्षा दे सकता है.’ हालांकि, यूनियन ऑफ कंसर्न्ड साइंटिस्ट्स की भौतिक विज्ञानी लॉरा ग्रेगो ने चेतावनी दी कि यह प्रणाली जटिल और महंगी है, और इसे आसानी से निशाना बनाया जा सकता है.

गोल्डन डोम को नई तरह की मिसाइलों, जैसे हाइपरसोनिक मिसाइलों और फ्रैक्शनल ऑर्बिटल बॉम्बार्डमेंट सिस्टम से भी निपटना होगा. लागत को लेकर भी अनिश्चितता है. जहां ट्रम्प ने 175 अरब डॉलर का अनुमान दिया, वहीं कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह खर्च 161 से 542 अरब डॉलर तक हो सकता है, और पूरी तरह बनने में दशकों लग सकते हैं. 1983 में तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने भी ऐसा ही एक एयर डिफेंस सिस्टम का सपना देखा था, लेकिन सोवियत संघ के पतन से पहले यह पूरा नहीं हो सका. वर्तमान में अमेरिका के पास छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलों को रोकने की प्रणालियां हैं, लेकिन लंबी दूरी की मिसाइलों को बड़े पैमाने पर रोकना अभी भी एक बड़ी चुनौती है.

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