Thursday, June 26, 2025
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पहलगाम हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में 2900 लोग हिरासत में, कहां तक पहुंची NIA की जांच?

एफएनएन, नई दिल्ली: पहलगाम के बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद से अभी तक जम्मू-कश्मीर के विभिन्न इलाकों से 2900 लोगों को हिरासत में लिया गया है। इन सभी को पीएसए यानी पब्लिक सेफ्टी एक्ट और प्रिवेंटिव डिटेंशन आधार पर जेल में डाला गया है। हालांकि, मामले की तफ्तीश कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) फिलहाल किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है।

पहलगाम और बैसरन घाटी में तफ्तीश में जुटी NIA
सूत्रों का कहना है कि इस सप्ताह कुछ सकारात्मक परिणाम आने की उम्मीद है। इसके पीछे कई कारण हैं, जिसमें 15 अप्रैल से 22 अप्रैल तक बैसरन मैदान और इसके नीचे वाले इलाके में उस समय एक्टिव मोबाइल फोन के डेटा और अन्य डिजिटल डिटेल अब आने लगे हैं। जांच एजेंसी को उम्मीद है कि इनसे कुछ कड़ी आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। फिलहाल, NIA की पांच अलग-अलग टीम पहलगाम और बैसरन घाटी में तफ्तीश में जुटी हैं। इस मामले को सुलझाने के लिए NIA अब तक की अपनी सबसे एडवांस और आधुनिक तकनीक इस्तेमाल करते हुए आगे बढ़ रही है।

जिपलाइन ऑपरेटर को NIA से क्लीन चिट नहीं
NIA सूत्रों का कहना है कि मामले में 360 डिग्री जांच की जा रही है। हर एंगल को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है। मामले में करीब 250 लोगों से पूछताछ की गई है। इनमें 7 लोगों को पूछताछ के लिए बार-बार बुलाया जा रहा है। इनमें से एक जिपलाइन का वह ऑपरेटर मुजव्विल भी शामिल है, जिसका हमले वाले दिन का विडियो वायरल हुआ था। NIA सूत्रों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने भले ही उससे एक दिन पूछताछ करके छोड़ दिया हो, लेकिन हमारी तरफ से उसे अभी तक क्लीन चिट नहीं दी गई है। कुछ सवाल हैं, जिनके वह ठीक से जवाब नहीं दे पा रहा है।

हमले के बाद पूरा जम्मू-कश्मीर हाई अलर्ट पर है
सूत्रों का यह भी कहना है कि हमले के बाद पूरा जम्मू-कश्मीर हाई अलर्ट पर है। हर जगह पुलिस, आर्मी, सीआरपीएफ और अन्य फोर्स की नजर बनी हुई है। सिक्योरिटी इसलिए भी बेहद टाइट करके रखी गई है कि कहीं आतंकवादियों का कोई दूसरा ग्रुप जम्मू-कश्मीर के किसी हिस्से पर फिर से हमला ना कर दे। मामले में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फिर से आतंकी हमला या किसी अन्य तरह के खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता है। पुलिस हर संभावित खतरे को ध्यान में रखते हुए पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है।

क्या है PSA और प्रिंवेंटिव डिटेंशन? पब्लिक सेफ्टी एक्ट यानी PSA जम्मू-कश्मीर में एक निवारक निरोध कानून है। यह कानून 1978 में लागू हुआ था। इसके तहत किसी व्यक्ति को बिना किसी मुकदमे या औपचारिक आरोप के राज्य की सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव के लिए खतरा होने पर हिरासत में लिया जा सकता है। प्रिवेंटिव डिटेंशन यानी किसी व्यक्ति को अपराध करने से रोकने के लिए बिना किसी मुकदमे के हिरासत में लेना होता है।

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