Thursday, June 19, 2025
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उत्तराखंड: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का हमला, विपक्ष से डरी सरकार घटा रही सत्र की अवधि

प्रीतम सिंह बोले-विपक्ष को जरूरत ही नहीं घेरने की, अपनों से ही घिरी है त्रिवेंद्र. सरकार

एफएनएन, देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार विधानसभा के मौजूूूदा शीतसत्र की अवधि बढ़ाए।

आरोप लगाया कि विपक्ष से घबराकर सत्ता पक्ष लगातार सत्र का समय कम कर रहा है। पहले एक दिन का सत्र बुलाया गया था और अब केवल तीन दिन का सत्र है।

कांग्रेस भवन में बृहस्पतिवार को मीडिया से मुखातिब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि विपक्ष को जरूरत ही नहीं है कि वह सरकार को घेरे, सत्ता पक्ष अपनों से ही घिरा हुआ है। मुख्यमंत्री सूर्यधार झील का उद्घाटन कर रहे हैं और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज झील की जांच के आदेश दे रहे हैं।
जीरो टॉलरेंस का नारा देने वाली सरकार कर्मकार बोर्ड के मामले में फैसला ही नहीं कर पा रही है। सदन में सत्ता पक्ष के विधायक ही सरकार के खिलाफ कार्य स्थगन प्रस्ताव लेकर आ रहे हैं। प्रेस वार्ता में कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना, एआईसीसी सदस्य गरिमा दसौनी, सहित अन्य कांग्रेसी नेता शामिल थे।

समर्थक किसानों को राष्ट्रीय अध्यक्ष से क्यों नहीं मिलवाया

प्रीतम सिंह ने कांग्रेस पर लग रहे किसान आंदोलन को उकसाने के आरोप का भी जवाब दिया। अध्यक्ष ने कहा कि आंदोलन है तो विपक्ष उसमें शामिल होगा ही। सरकार तो यह बताए कि वह इतने दिन से इस मामले में गतिरोध खत्म क्यों नहीं कर रही है। कहा कि उत्तराखंड से किसानों का दल केंद्रीय कृषि मंत्री से समर्थन में मिला। इन किसानों को अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष से ही मिलवा देते तो ज्यादा बेहतर होता।

मोदी बोलकर भी कुछ नहीं करते

प्रीतम ने कहा कि किसान आंदोलन और जीएसटी से यूपीए और एनडीए के अंतर को समझा जा सकता है। जीएसटी कांग्रेस लेकर आई लेकिन इसको लागू करने का तरीका भाजपा को नहीं आया। अब तक डेढ़ सौ से ज्यादा संशोधन इसमें हो चुुके हैं। इसी तरह किसानों को सरकार अधर में छोड़ रही है और किसान इस बात को समझ रहे हैं।

विपक्ष लोकायुक्त की मांग करता रहा

प्रीतम सिंह के मुताबिक, किसी विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने की मांग विपक्ष करता है। सरकार लोकायुक्त बिल लेकर आई और विपक्ष ने कहा जारी करो तो संसदीय कार्यमंत्री ने खुद ही कहा कि यह बिल प्रवर समिति को भेजा जाएगा।

 

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