- कोरोना काल में नौ माह से बंद था, ट्रस्ट को लगी 70 करोड़ नैपाली रुपये की चपत
एफएनएन, काठमांडूः बीते 9 माह से बंद नेपाल का विश्वविख्यात पशुपतिनाथ मंदिर बुधवार से श्रद्धालुओं के लिए फिर खुल जाएगा। पशुपति एरिया डेवलपमेंट ट्रस्ट के मुताबिक सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत कोरोना काल में लंबे समय से पशुपतिनाथ मंदिर बंद था।
हर श्रद्धालु को करना ही होगा कोरोना गाइडलाइंस का पालन
ट्रस्ट के सचिव प्रदीप ढकाल ने कहा कि बुधवार से भक्तों को मंदिर के अंदर प्रार्थना करने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन उन्हें कोरोना गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करना होगा। मंदिर प्रबंधन ने द्वार पर ही हर श्रद्धालु को सैनिटाइज कराने की भी व्यवस्था की है। गौरतलब है कि वैश्विक महामारी कोरोना के चलते पशुपतिनाथ मंदिर 20 मार्च 2019 को बंद कर दिया गया था।
2-2 मीटर दूरी पर भक्तगण खड़े करवाए जाएंगे
पशुपतिनाथ मंदिर लंबे समय बाद खुलने पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ सकती है। ऐसे में प्रबंधन में भक्तों को 2-2 मीटर के फासले पर खड़ा कराने की व्यवस्था की है। मंदिर आज बुधवार से खुलेगा लेकिन फिलहाल विशेष पूजा, भजन-कीर्तन आदि की इजाजत नहीं दी जाएगी। प्रदीप ढकाल के मुताबिक कोरोना के चलते हम खुद को प्रतिबंधित करने के लिए मजबूर थे।
मंदिर खुलवाने को विरोध प्रदर्शन भी हो चुका है
गौरतलब है कि हाल ही में मंदिर को लगातार बंद रखने के विरोध में विश्व हिंदू महासंघ के नेतृत्व में कई धार्मिक संगठनों ने पशुपति क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन भी किया था। पशुपति एरिया डेवलपमेंट ट्रस्ट के ट्रस्टी डॉ. मिलन कुमार थापा ने कहा कि मंदिर बंद होने के चलते ट्रस्ट को 70 करोड़ नेपाली रुपए नुकसान हुआ है।
एफएनएन, मंदसौरः मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में भगवान पशुपतिनाथ की अष्टमुखी प्रतिमा को भयंकर शीतलहर से बचाने के लिए कम्बल से ओढ़ा दिया गया है। अन्य देवताओं को भी सर्दी से बचाने के लिए गर्म कपड़े पहनाए गए हैं। मंदिर के पुजारी राकेश भट्ट ने बताया कि हर साल सर्दी के मौसम में शीतलहर और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से भक्तों की रक्षा करने के लिए इस परंपरा का निर्वाह किया जाता है। उन्होंने बताया कि भगवान पशुपतिनाथ को तांबूल और दूध का भोग लगाकर कंबल ओढ़ाया जाता है। अटूट आस्था है कि सर्द मौसम में इस तरह कंबल ओढ़ाने से प्रसन्न होकर भगवान पशुपतिनाथ अपने भक्तों की सर्द मौसम से रक्षा करते हैं।