Monday, September 1, 2025
03
20x12krishanhospitalrudrapur
previous arrow
next arrow
Shadow
Homeराज्यउत्तराखंड1.47 करोड़ रुपए ठगे, 12 दिन रखा डिजिटल अरेस्ट, आरोपी हिमाचल से...

1.47 करोड़ रुपए ठगे, 12 दिन रखा डिजिटल अरेस्ट, आरोपी हिमाचल से हुआ गिरफ्तार

एफएनएन, देहरादून: महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय से रिटायर्ड कुलपति को डिजिटल अरेस्ट कर 1.47 करोड़ रुपए ठगने वाले आरोपी को पुलिस ने हिमाचल प्रदेश के सोलन से गिरफ्तार किया है. आरोपी ने 12 दिन तक पीड़ित को घर पर व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से डिजिटल अरेस्ट किया था.

महाराष्ट्र पुलिस के साइबर क्राइम विभाग के नाम पर पीड़ित रिटायर्ड कुलपति को व्हाट्सएप कॉल पर डिजिटल अरेस्ट कर साइबर धोखाधड़ी की गई थी. साथ ही साइबर ठगों ने पीड़ित के नाम पर खोले गए बैंक खाते में 60 करोड़ की धनराशि आने और मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज होने की बात कही थी.

रिटायर्ड कुलपति के सभी बैंक खातों का वेरिफिकेशन किए जाने की बात कहकर व्हाट्सएप कॉल पर ही डरा धमकाकर कानूनी कार्रवाई का डर दिखाकर डिजिटल अरेस्ट करते हुए अलग-अलग खातों में कुल 1.47 करोड़ रुपए ट्रांसफर करवाए थे.

नैनीताल निवासी पूर्व वीसी से ठगी: दरअसल, नैनीताल निवासी पीड़ित रिटायर्ड कुलपति ने साइबर पुलिस थाने में एक शिकायत दर्ज कराई थी. जिसमें उन्होंने बताया था कि इसी अगस्त महीने में अज्ञात व्यक्तियों ने खुद को महाराष्ट्र साइबर क्राइम विभाग से बताते हुए उसके नाम पर खुले बैंक खाते में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत 60 करोड़ रुपए के लेनदेन होने की बात कही थी.

इसके लिए पीड़ित रिटायर्ड कुलपति के खातों का वेरिफिकेशन करने की बात कही गई, फिर व्हाट्सएप कॉल पर ही उसे डिजिटली अरेस्ट कर 12 दिनों में उससे अलग-अलग खातों में 1.47 करोड़ रुपए धोखाधड़ी से जमा कराई गई. वहीं, पीड़ित की शिकायत पर पुलिस की टीम ने मुकदमे में आए बैंक खातों और मोबाइल नंबरों का सत्यापन किया.

वहीं, पुलिस की जांच में साइबर ठगी मामले में राजेंद्र कुमारनिवासी सोलन (हिमाचल प्रदेश) का नाम सामने आया. जिसके बाद उसकी गिरफ्तारी के लिए दबिश दी गई. इसी कड़ी में आरोपी राजेंद्र कुमार को हिमाचल प्रदेश के सोलन से गिरफ्तार कर लिया गया.

उत्तराखंड एसटीएफ एसएसपी नवनीत भुल्लर ने बताया कि आरोपी ने पीड़ित को महाराष्ट्र के साइबर क्राइम विभाग का अधिकारी बताया था. साथ ही महाराष्ट्र में ही गिरफ्तार एक अन्य व्यक्ति के केस में पीड़ित के नाम पर खुले केनरा बैंक के खाते में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत 60 करोड़ की धनराशि मिलने की बात कही गई थी.

इसके लिए पीड़ित को व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से लगातार संपर्क में रहने और किसी भी व्यक्ति के संपर्क न करने की हिदायत आरोपी की ओर से दी जाती थी. व्हाट्सएप कॉल पर ही बैंक खातों के वेरिफिकेशन किए जाने को कहा जाता था.

इसके लिए पीड़ित को डरा धमकाकर हाउस/डिजिटल अरेस्ट होने की बात कहते हुए व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से लगातार संपर्क में बने रहने की बात कही जाती थी. इसके बाद पीड़ितों से धोखाधड़ी से मिले धनराशि को तत्काल ही अन्य खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता था. जिसके लिए आरोपी राजेंद्र कुमार अलग-अलग लोगों के खातों का इस्तेमाल करता था.

एक फर्म के बैंक खाते में पीड़ित ने 50 लाख रुपए की धनराशि ट्रांसफर की थी. बैंक खाते को अन्य व्यक्तियों के नाम पर खुलवाया गया था. आरोपी ने साइबर ठगी के लिए जिस बैंक खातों का इस्तेमाल किया था. उसमें जून से अगस्त महीने में ही लाखों रुपयों के लेनदेन हुए हैं.

आरोपी राजेंद्र कुमार के पास से नेट बैंकिंग के लिए बैंक खाते का रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर, घटना के समय इस्तेमाल मोबाइल डिवाइस, वाई-फाई राउटर और बैंक खाते से संबंधित चेक और फर्म से जुड़े अन्य दस्तावेज बरामद हुए हैं.

डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगों का एक नया तरीका है. जिसमें साइबर ठग फोन, व्हाट्सएप या फिर वीडियो कॉल के माध्यम लोगों को डराते हैं. साइबर ठग खुद को पुलिसकर्मी, सीबीआई या इनकम टैक्स अधिकारी बताते हैं. साथ ही झूठा केस दर्ज होने की बाक कहकर डराते हैं. इसके लिए पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट किए जाने की बात कहते हैं. ऐसे में कई लोग डर और दबाव में आकर अपने रुपए लुटा बैठते हैं.

डिजिटल अरेस्ट की शिकायत करें: बता दें कि किसी भी संस्था का अधिकारी डिजिटल अरेस्ट नहीं करता है. ना ही डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज होती है. अगर कोई डिजिटल अरेस्ट करने की बात करता है तो cybercrime.gov.in  पर रिपोर्ट करें या फिर मदद के लिए 1930 पर कॉल करें.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments