एफएनएन ब्यूरो, लखनऊ-उप्र। यूपी के कुशीनगर जिले में जाली नोटों के धंधेबाजों के पूरे गैंग की गिरफ्तारी के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा करने वाले कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू खुद जांच के दायरे में आ गए हैं। गिरफ्तार हुए इस गैंग के सरगना और सपा नेता रफी खान उर्फ बबलू तथा दूसरे धंधेबाज मीर औरंगजेब के साथ उनके कई फोटो पुलिस के हत्थे लगने के बाद लल्लू पर भी जांच और कार्रवाई का शिकंजा कस गया है।
गैंगरेप के आरोपी मीर औरंगजेब और रफी खान उर्फ बबलू के साथ कांग्रेस नेता लल्लू के कई फोटो पुलिस के हाथ लग गए हैं। इसको आधार बनाते हुए पुलिस कांग्रेस नेता की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए नोटिस जारी कर उनसे भी पूछताछ करेगी।
पुलिस ने कुशीनगर के तमकुही राज से सपा नेता रफी खान समेत 10 लोगों को 5.62 लाख रुपये के जाली नोटों और दस तमंचों, कई कारतूसों, एक कार और चार सुतली बमों के साथ गिरफ्तार किया था। पुलिस के मुताबिक ये सभी जाली नोट, मसाला तस्करी और पशु तस्करी से जुड़े रहे हैं। राजनीतिक दलों से जुड़े इन आरोपियों के पकड़े जाने का मामला पूरे सूब में सुर्खियों में है। आरोपियों का पक्ष लेते हुए कुछ नेता न्यायिक जांच की मांग कर चुके हैं।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू ने भी एक्स और फेसबुक पर पोस्ट की। एक पोस्ट में उन्होंने पुलिस को रॉबिनहुड बताते हुए सवाल खड़े किए तो दूसरी पोस्ट में आरोपियों के पैर में लगी चोट का जिक्र करते हुए दो वीडियो भी साझा किए और सीधेनडीजीपी से सवाल किया है।
जांच में पुलिस को पकड़े गए आरोपियों के साथ अजय लल्लू के फोटो सोशल मीडिया पर मिल गए। एसपी संतोष कुमार मिश्रा ने बताया कि अजय लल्लू की भूमिका संदिग्ध लग रही है। उनके खिलाफ जांच शुरू करवा दी गई है। जेल भेजे गए आरोपियों के साथ उनका फोटो मिला है और उनको बचाने के लिए वे प्रयास कर रहे हैं। नोटिस जारी कर उनसे पूछताछ की जाएगी।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय लल्लू ने कहा कि अभी उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला है और न ही कोई ऐसी सूचना है। बिना नोटिस मिले कुछ कहना उचित नहीं होगा। पुलिस की भूमिका की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।
बरेली के इलियास अंसारी ने भी दिया निष्पक्ष न्यायिक जांच पर जोर
इधर, बरेली में सपा के पूर्व जिला उपाध्यक्ष तथा मीरगंज नगर पंचायत के अध्यक्ष रह चुके मोहम्मद इलियास अंसारी ने भी फेसबुक पर पोस्ट कर कहा है कि इस घटना की न्यायिक जांच बहुत आवश्यक है। पुलिस ने गिरफ्तारी दूसरी जगह से दर्शाई है। कई लोगों का मानना है कि असलहे और गोली-बारूद भी गिरफ्तारी के वक्त बरामद नहीं हुए थे। अगर पुलिस के पास कोई पुख्ता साक्ष्य है तो इतने गंभीर केस में उसे सार्वजनिक जरूर किया जाना चाहिए। अन्यथा पुलिस से लोगों का विश्वास ही उठ जाएगा।