एफएनएन, देहरादून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को महत्कांक्षी परियोजना ‘नमामि गंगे’ के तहत उत्तराखंड में हरिद्वार, ऋषिकेश और बदरीनाथ में सीवरेज शोधन संयंत्र (एसटीपी) का डिजिटल लोकार्पण किया । इसके अलावा, उन्होंने हरिद्वार के चंडीघाट में निर्मित ‘गंगा अवलोकन’ संग्रहालय का भी डिजिटल लोकार्पण किया । इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज मां गंगा की निर्मलता सुनिश्चित करने वाले छह बडी परियोजनाओं का लोकार्पण किया गया है जिनमें एसटीपी और म्यूजियम जैसी परियोजनाएं शामिल हैं इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सचिवालय से जुड़े। प्रधानमंत्री ने जिन छह परियोजनाओं का लोकार्पण किया है उनमें हरिद्वार जिले के जगजीतपुर में 68 एमएलडी एसटीपी, 27 एमएलडी का अपग्रेडेशन एसटीपी और सराय में 18 एमएलडी का एसटीपी शामिल हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की मुख्य बातें…
- चारधाम की पवित्रता को अपने में समेटे देवभूमि उत्तराखंड की पावन धरा को मेरा नमन। आज जिस पुस्तक का विमोचन हुआ है, उसमें भी विस्तार से ये बताया गया है कि गंगा किस तरह हमारे सांस्कृतिक वैभव, आस्था और विरासत का बहुत बड़ा प्रतीक है। आज मां गंगा की निर्मलता को सुनिश्चित करने वाली 6 बड़ी परियोजनाओं का लोकार्पण किया गया है। इसमें हरिद्वार, ऋषिकेश, बद्रीनाथ और मुनि की रेती में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और म्यूजियम जैसे प्रोजेक्ट भी शामिल हैं, इनके लिए मैं उत्तराखंड के सभी लोगों को बहुत बहुत बधाई देता हूं।
- उत्तराखंड में उद्गम से लेकर पश्चिम बंगाल में गंगा सागर तक मां गंगा देश की करीब-करीब आधी आबादी के जीवन को समृद्ध करती हैं। इसलिए गंगा की निर्मलता आवश्यक है, गंगा जी की अविरलता आवश्यक है। बीते दशकों में गंगा जल की स्वच्छता को लेकर बड़े बड़े अभियान शुरू हुए थे। लेकिन उन अभियानों में न तो जन भागीदारी थी और न ही दूरदर्शिता।
- सरकार ने चारों दिशाओं में एक साथ काम आगे बढ़ाया। पहला- गंगा जल में गंदा पानी गिरने से रोकने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों का जाल बिछाना शुरू किया दूसरा- सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ऐसे बनाए, जो अगले 10-15 साल की भी जरूरतें पूरी कर सकें। तीसरा- गंगा नदी के किनारे बसे 100 बड़े शहरों और 5,000 गांवों को खुले में शौच से मुक्त करना। चैथा- जो गंगा जी की सहायक नदियां हैं, उनमें भी प्रदूषण रोकने के लिए पूरी ताकत लगाना।
- इस चैतरफा काम का परिणाम हम सब देख रहे हैं। आज नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 30 हजार करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं पर या तो काम चल रहा है, या पूरा हो चुका है। उत्तराखंड में तो स्थिति ये थी कि गंगोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ से हरिद्वार तक 130 से अधिक नाले गंगा जी मे गिरते थे। आज इन नालों में से अधिकतर को रोक दिया गया है।
- अब गंगा म्यूजियम के बनने से यहां का आकर्षण और अधिक बढ़ जाएगा। ये म्यूजियम हरिद्वार आने वाले पर्यटकों के लिए, गंगा से जुड़ी विरासत को समझने का एक माध्यम बनने वाला है। इसमें ऋषिकेश से सटे मुनि की रेती का चंद्रेश्वर नगर नाला भी शामिल है। इसके कारण यहां गंगा जी के दर्शन के लिए आने वाले और राफ्टिंग करने वाले साथियों को बहुत परेशानी होती थी। आज से यहां देश का पहला चार मंजिला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट शुरू हो चुका है। हरिद्वार में भी ऐसे 20 से अधिक नालों को बंद किया जा चुका है।
परियोजनाओं के नाम और लागत
- जगजीतपुर, हरिद्वार- 230.32 करोड़ रुपये की लागत के 68 मेगालीटर और 19.64 करोड़ रुपये की लागत के 27 एमएलडी एसटीपी बने हैं।
- सराय,हरिद्वार- 12.99 करोड़ की लागत के 18 एमएलडी एसटीपी बनकर तैयार हुए।
- मुनी की रेती टिहरी- 39.32 करोड़ रुपये लागत से 5 मेगालीटर के एसटीपी बने।
- चन्द्रेश्वर नगर, ऋषिकेश- 41.12 करोड़ की लागत से बने 7.50 एमएलडी एसटीपी।
- लक्कड़घाट, ऋषिकेश- 158 करोड़ रुपये की लागत से बने 26 एमएलडी एसटीपी।
- बदरीनाथ- 18.23 करोड़ रुपये से बने एक एमएलडी का एसटीपी।