एफएनएन, रुद्रपुर: मेट्रोपोलिस रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (MRWA) श्रम कानूनों का मखौल उड़ा रही है। सोसायटी की ओर से बड़ी संख्या में काम कर रहे सुरक्षा गार्डों और कर्मचारियों को पीएफ और ईएसआई की सुविधा नहीं दी जा रही है। सोसाइटी इन छोटे कर्मचारियों के भविष्य से खुला खिलवाड़ कर रही है और श्रम विभाग पूरी तरह से चुप्पी साधे है।
आपको बताते चलें कि पॉश सोसाइटी मेट्रोपोलिस में 41 सुरक्षा गार्ड ड्यूटी देते हैं, इसके अलावा फैसिलिटी ऑफिस में मैनेजर के अलावा दो अकाउंटेंट और चार अदर स्टाफ हैं। 8 माली, 10 सफाई कर्मी, 15 हाउस कीपर, इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर, कारपेंटर आदि तैनात हैं, इसके बावजूद सोसायटी कर्मचारियों को पीएफ और ईएसआई की सुविधा नहीं दे रही। सुरक्षा गार्डों को 12 घंटे ड्यूटी के एवज में सिर्फ ₹9000 देकर श्रम कानूनों का उल्लंघन किया जा रहा है। बड़ी बात यह है जिन सुरक्षा गार्डों के कंधों पर सोसाइटी की सुरक्षा का जिम्मा है, उनके साथ ही अन्याय कहां तक उचित है। वहीं सोसायटी की ओर से मानक के अनुरूप गार्ड भी तैनात नहीं किए गए हैं। इसके साथ ही कंपनी की ओर से ज्यादा उम्र के गार्ड इसीलिए लगाए गए हैं ताकि वह कम मानदेय पर काम कर सकें।
इस संबंध में जब हमारी सोसायटी के सचिव सुनील शुक्ला से बात हुई तो वह संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके। उनका कहना था कि अगर गार्डों को पीएफ और ईएसआई की सुविधा देंगे तो उन्हें 13 से ₹14000 महीना मानदेय देना होगा, इतना सोसाइटी दे नहीं सकती। उनका कहना है कि मेंटेनेंस इतना कम लिया जा रहा है कि उसमें ईएसआई, पीएफ और जीएसटी दे पाना संभव नहीं है। जल्द ही मेंटेनेंस शुल्क बढ़ाकर गवर्नमेंट के नियम को पूरा किया जाएगा। जो मेंटेनेंस शुल्क लिया जा रहा है वह पूरा पूरा खर्च किया जा रहा है। सोसाइटी के पास गवर्नमेंट को देने के लिए पैसा नहीं है। उनका कहना था कि सुरक्षा गार्डों पर 11 लाख रुपए खर्च किया जा रहा है, हालांकि यह आंकड़ा किसी के गले नहीं उतर रहा। खबर तो यहां तक है कि सिक्योरिटी कंपनी से सेटिंग गेटिंग कर सुरक्षा गार्डों की ड्यूटी को भी कम ज्यादा कर दिया जाता है। जल्द पढ़े- फैक्ट्री में पिटाई के आरोपी को कैसे दे दी गई नियुक्ति क्रमशः