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मामला सुर्खियों में आने के बाद काम रुकवाया गया, बड़ा सवाल एनएच पर नहीं तो कहां पड़ रही थी मिट्टी
एफएनएन, किच्छा : खनन के मामले में कुख्यात ऊधमसिंह नगर में एक और खेल सामने आया है। यहां सरकारी तालाब खोदने के नाम पर मिली परमिशन खनन माफिया के लिए वरदान साबित हो गई है। 1000 घन मीटर की परमिशन के एवज में 10,000 से ज्यादा खोदकर मिट्टी निकाली गई है। यानी रियलिटी जमा हुई करीब दो लाख और मिट्टी निकाली गई 40 लाख से ज्यादा की। इस खेल के सुर्खियों में आने के बाद फिलहाल खुदाई पर रोक लगा दी गई है।
आपको बता दें कि ऊधमसिंह नगर अवैध खनन के मामले में सुर्खियों में रहता है। ताजा मामला किच्छा में लालपुर मजार और श्मशान घाट के पास सरकारी तालाब खुदाई को मिली परमिशन से जुड़ा है। सूत्रों की माने तो परियोजना निदेशक एनएचएआई के लेटर हेड पर अनुमति ली गई। 1000 घन मीटर की परमिशन मिली लेकिन 3 दिन के भीतर तालाब को 10,000 से ज्यादा खोद दिया गया।
खबर तो यहां तक है कि जंगलात की जमीन को भी नहीं बख्शा गया। करीब दो लाख की राशि जमा हुई और अब तक बाजारी मूल्य के हिसाब से 40 लाख से ज्यादा की मिट्टी निकाली जा चुकी है। इस मामले में जहां एनएच का निर्माण कर रही गल्फार कंपनी ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं वही अब गेंद एनएसयूआई के पाले में डाल दी गई है। सूत्र बताते हैं कि निकाली गई मिट्टी एनएच पर न डालकर बाजारी मूल्य पर बिक्री कर दी गई। जबकि सरकारी खाते में जमा हुआ तो मात्र ₹ एक लाख 70 हजार।
इस पूरे खेल में मानकों को छुपाने की पूरी कोशिश की गई लेकिन मामला सुर्खियों में आया तो एसडीएम ने फिलहाल खुदान पर रोक लगा दी है। खास बात तो यह भी है कि बिना रॉयल्टी माल पास कर दिया गया जबकि पोर्टल तो खुला ही नहीं था। कुल मिलाकर इस पूरे खेल में नारायणपुर के एक व्यक्ति का नाम सामने आ रहा है।
हमने इस संबंध में जब एसडीएम कौस्तुभ मिश्रा से बात की तो उनका कहना था कि फिलहाल काम रुकवा दिया गया है। जब तक एनएचएआई यह साफ नहीं करेगा कि मिट्टी कहां डाली जा रही थी, तब तक काम शुरू नहीं होगा। उन्होंने कहा कल वह जाकर इसकी जांच कराएंगे।