एफएनएन, देहरादून : यमुनोत्री धाम की यात्रा के अंतिम सड़क पड़ाव जानकीचट्टी में बीते 18 दिनों में 15 घोड़ा-खच्चरों की मौत हो चुकी है। पशु चिकित्सकों के अनुसार सभी घोड़े-खच्चरों की मौत जानकीचट्टी के आसपास ही हुई है, इन्हें पशुपालन विभाग की टीम ने पहले ही अनफिट करार दे दिया था। इसके कारण उन्हें यमुनोत्री धाम जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। माना जा रहा है कि अनफिट घोड़े-खच्चरों की मौत उचित उपचार और देखरेख न मिलने के कारण हो रही है।
22 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खोले गए थे। यमुनोत्री धाम की यात्रा के लिए जानकीचट्टी से धाम तक पांच किमी पैदल रास्ते पर डंडी-कंडी और घोड़ा-खच्चरों का संचालन किया जाता है। इस बार करीब 4050 घोड़े-खच्चरों का पंजीकरण जानकीचट्टी में किया गया है। पशुपालन विभाग की ओर से इस बार घोड़ा-खच्चरों को जांच के बाद फिट पाए जाने पर ही यमुनोत्री धाम जाने की अनुमति दी जा रही है।
जानकीचट्टी में औसतन प्रतिदिन 10 से 12 घोड़े खच्चर अनफिट पाए जा रहे हैं, जिन्हें पशुपालन विभाग उपचार देने की बात कर रहा है। लेकिन, जानकी चट्टी में अनफिट घोड़ा-खच्चरों को सही उपचार नहीं मिल पा रही है और न ही संचालक उनकी उचित देखरेख कर रहे हैं।
इसके कारण अभी तक 15 घोड़े-खच्चरों की मौत हो चुकी है। मुख्य पशु चिकित्सक डा. बीडी ढौंडियाल ने बताया कि मरने वाले पशुओं को विभाग ने पहले ही अनफिट बता दिया था। अभी तक 2709 घोड़ा-खच्चरों की जांच के साथ 262 को उपचार दिया जा चुका है। करीब 100 से 150 घोड़ा-खच्चर की प्रतिदिन स्वास्थ्य जांच भी की जा रही है।